गुरुवार, 30 नवंबर 2017

खीर की कटोरी


Asharfi Lal Mishra










गौर वर्णा
देख
थी
अपर्णा 
मन ,कुछ चंचल हुआ। 
भवन में 
अकेले सहधर्मिणी 
मन हर्षित हुआ।
संकेत से 
 प्रिया  ने  
किया इशारा 
द्विगुणित  उत्साह से 
दोनों  .हाथों   से 
उठा लिया। 
होठों से लगाकर 
दिल खोलकर 
जिह्वा  से 
पान किया। 
जब हो गया तृप्त 
प्रिया   ने कहा 
 लो 
एक और गौर वर्णा 
धन्य धन्य 
खीर  की कटोरी
 गौर  वर्णा। 

लेखक एवं रचनाकार अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस की प्रतिष्ठा गिरी

 ब्लॉगर : अशर्फी लाल मिश्र अशर्फी लाल मिश्र कहावत है कि हर ऊँचाई के बाद ढलान  होती है । ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने में कांग्रेस ने जनता ...