शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

लोकतंत्र और विपक्ष

ब्लॉगर : अशर्फी लाल मिश्र 

लोकतंत्र में विपक्ष की महती भूमिका होती है। इस कटु सत्य से कोई इंकार भी नहीं कर सकता है और बिना मजबूत विपक्ष के लोकतंत्र में भी एक तंत्र की भावना का उदय हो सकता है। 
 हमने एक पूर्व मुख्य मंत्री के मुंह से सुना कि " जनता के मूड को बदल दो और सत्ता  छीन  लो " लेकिन उक्त कथन सत्ता प्राप्त करने का एक अस्त्र हो सकता है लेकिन लोकतंत्र में विपक्ष का जो जनता के प्रति दायित्व है उसकी ओर संकेत  नहीं दिखाई देता। 

लोकतंत्र में विपक्ष का दायित्व 
 
लोकतंत्रीय शासन में विपक्ष की भूमिका का विशेष महत्व है।
उसका दायित्व है :
1-जब सरकार / सत्ता दल राष्ट्रीय भावना या राष्ट्रहित में कार्य न करे तो उसे सदैव सचेत करे ।
 2-नौकरशाही अपने कर्तव्यों में असफल हो रही हो तो भी विपक्ष सरकार को  सचेत करे। 
३-समय समय पर कुछ अप्रिय या कानून व्यवस्था सम्बन्धी  घटनाएं भी होती है। इन घटनाओं में भी विपक्ष की भूमिका न्यायोचित होनी चाहिए।
यदि विपक्ष अपने पूरे कार्य काल में अपने कर्तव्य का निर्वहन करे तो शासक दल  सचेत रहकर जनहित में अग्रसर रहेगा।  
 
लोकतंत्र में विपक्ष का लक्ष्य 

लेकिन अक्सर देखने में यह आता है जब चुनावी वर्ष आता है तभी विपक्ष अपनी सक्रिय भूमिका में दिखाई पड़ता है यहां विपक्ष का उद्देश्य यह होता है कि  चुनावी वर्ष में जनता के मूड को अपनी ओर मोड़ना और सत्ता प्राप्त करना। 

अभिमत 
1 लोकतंत्रीय शासन में विपक्ष की भूमिका महत्व पूर्ण होती है। 
2 - यदि विपक्ष अपने पूरे  कार्य काल में सक्रिय रहे तो सरकार और नौकरशाही जनहित की ओर अग्रसर रहेगी। 

बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

Pandit Ram Khelawan : The Great Social Activist

 [Blogger : Asharfi Lal Mishra ]

नाम :  राम खेलावन मिश्र

जन्म : मार्च 25, 1909   ,इंजुवारामपुर कानपुर।[1]

मृत्यु  : सितम्बर 02,1982 ,इंजुवारामपुर कानपुर।

राष्ट्रीयता : भारतीय

व्यवसाय: शिक्षक ,सामाजिक कार्यकर्ता

प्रसिद्धि कारण: प्रधान  ,सामाजिक कार्यकर्ता

जीवनसाथी : रेणुका देवी

बच्चे : तीन पुत्र

Ram Khelawan Mishra







राम खेलावन मिश्र

(जन्म मार्च 25.1909 --मृत्यु सितम्बर ०2,1982) जन्म से क्रन्तिकारी विचारों के थे। इनका जन्म ब्रिटिश साम्राज्य भारत के यूनाइटेड प्रोविंस (उत्तर प्रदेश ) के कानपुर जिले के ग्राम इंजुवारामपुर (इन्जुआरामपुर) में मार्च २५ ,१९०९ को हुआ। [1]a 

जीवन परिचय

इनके पिता नाम नन्हा था। वर्ष 1926 में इन्होने मिडिल स्कूल डेरापुर , कानपुर वर्तमान में डेरापुर, कानपुर देहात से वर्नाक्यूलर फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष १९२७ में रेणुका देवी से विवाह हुआ। इसी वर्ष प्राइमरी स्कूलमें शिक्षक बने।

क्रांतिकारी

चूँकि यह बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों के थे इसलिए शिक्षण कार्य में मन नहीं लगा और शिक्षण कार्य से त्याग पत्र देकर भारत में चल रही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। वर्ष १९४२ में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध इनका जन जागरण अभियान बहुत उग्र था। गांव के समीप से जाने वाली उत्तरी रेलवे के किनारे टेलीफोन लाइन का लगभग २०० मीटर तार काट कर भूमिगत हो गए। इसी बीच जुरिया के शिवराम पाण्डेय ,बड़ागांव भिक्खी के शम्भू दयाल चतुर्वेदी और बहिरी उमरी के शिशुपाल सिंह और कठारा के जंग बहादुर सिंह आजादी के इस अभियान में कूद कर ब्रिटिश सरकार को ललकारा और रेलवे की संचार व्यवस्था ठप्प कर दी।[2]

समाज सेवा

1-गांव के तालाबों में जल भराव के लिए ग्रामीणों के सहयोग से तालाबों को गहरा कराया जिससे पशुओं के पीने एवं स्नान के लिए पानी की समस्या का निराकरण हुआ।

2- गांव में छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए प्राथमिक पाठशाला खुलवाई गई।

3-भारत के स्वतंत्र होने पर ग्रामवासियों ने उन्हें सर्व सम्मति से प्रधान चुन लिया।[3] दूसरी बार भी ग्रामवासियों ने प्रधान बनाना चाहा परन्तु इन्होने अस्वीकार कर दिया।

4-गांव में अपने ही चबूतरे पर प्राथमिक पाठशाला का संचालन शुरू करवाया। इस चबूतरे को पंचायती चबूतरा कहा जाता था। 

स्वतन्त्रता दिवस पर सर्व प्रथम इसी चबूतरे पर तिरंगा फहराया गया था। बाद में इसी चबूतरे पर स्वतन्त्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के समारोह आयोजित किये जाने लगे। 

मृत्यु

जनता की सेवा करते हुए २ सितम्बर १९८२ को उनका देहांत हो गया।

अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस की प्रतिष्ठा गिरी

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