शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

सेवा निवृत्ति आयु बढ़ाना राजनीतिक अदूरदर्शिता

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति आयु को बढ़ाने का अधिकार तो है लेकिन बिना राष्ट्रीय हानि  लाभ का आकलन किए कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति आयु बढ़ाना अदूरदर्शिता होगी।

सेवा निवृत्ति आयु बढ़ाने से हानियाँ

1- 60 वर्ष की आयु के बाद शारीरिक क्षमता में कमी आ जाती है अतः हर कर्मचारी आगे सेवा नहीं करना चाहता।

2- फील्ड या बॉर्डर या फिर उंचाई पर कार्य प्रभावित होगा।

3- पेंशन में वृद्धि के लालच  में  कर्मचारी स्वेच्छा से सेवा निवृत्त नहीं होना चाहते।

4-जिंक फूड  एवं फास्ट फूड के प्रचलन के कारण कर्मचारियों में  शारीरिक मोटापा बढ़ रहा है जिसके  कारण भी कर्मचारियों में कार्य क्षमता कम हो रही है।

5- लगभग 10 % कर्मचारी ही शारीरिक रूप से फिट रहते है उन्हें आगे काम का अवसर दिया जा सकता है।

6- कम क्षमता के कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति आयु बढ़ाने से राष्ट्रीय क्षति होगी।

7- रोजगार पाने की पंक्ति में खड़ी युवा पीढ़ी में भी असन्तोष फैलेगा।

8-विपक्ष को एक राजनीतिक अवसर उपलब्ध होगा।

लाभ 

1- सेवा निवृत्त कर्मचारियों  को GPF एवं ग्रेच्युटी का भुगतान न करने से सरकार को वित्तीय राहत मिलेगी।

2-कुछ अनुभवी एवं कर्मठ कर्मचारियों का भी लाभ मिलेगा।

ओपिनियन 

1-सेवा निवृत्ति आयु बढ़ाना राजनीतिक अदूरदर्शिता होगी।

2- सेवा निवृत्ति बढ़ाने से राष्ट्रीय क्षति होगी।

3-रोजगार  पाने की पंक्ति में खड़ी युवा पीढ़ी में असंतोष फैलेगा।

4- विपक्ष को एक राजनीतिक मुद्दा मिलेगा।


शुक्रवार, 17 जून 2022

अग्निपथ योजना का विश्लेषण

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






Updated on 03/01/2023

 मोदी सरकार की  अग्निपथ योजना का संक्षिप्त विश्लेषण निम्न्वत है:

1-अनिवार्य सैनिक सेवा

आज सारा विश्व परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ा हुआ है ।कोई भी देश पूर्ण रूपेण आत्म निर्भर नहीँ है ।आज व्यापार भी परमाणु धमकी से प्रभावित हो रहा है। कब कौन देश किस देश को अपने शिकंजे में  जकड़ ले कहा नहीँ जा सकता।

आज हर देश की सीमाएँ  सदैव खतरे में ही रहती हैँ । इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए विश्व के कई देशों ने अपने यहाँ अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दी । इनमें प्रमुख देश हैँ  इजराइल, रूस, ब्राजील,उत्तरी कोरिया, दक्षिण कोरिया आदि ।

कुछ ऐसे भी देश हैं जहाँ महिलाओं के लिए भी अनिवार्य सैनिक सेवा है । जैसे इजराइल ।

अग्निपथ  योजना  से  स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि भारत भी अनिवार्य सैनिक सेवा के लक्ष्य की ओर अग्रसर होना  चाहता है। वर्तमान परिस्थितियों में अग्निपथ  योजना उत्तम है लेकिन इस योजना के  कार्यान्वयन से  पूर्व  इसकी महत्ता एवं आवश्यकता का   जनता में  प्रचार प्रसार किया जाना जरूरी था।

2-बढ़ती वरिष्ठ नागरिकों की आवादी

देश में वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसी के साथ कार्यरत कर्मचारियों की तुलना में पेंशनरों की संख्या में भी वृद्धि होती जा रही है।

कहने का अर्थ यह है एक तरफ जहाँ भारत बूढ़ा हो रहा है तो दूसरी तरफ युवा शक्ति में कमी आ रही है । इसका अर्थ आप यह भी लगा सकते हैं कि खर्चा अधिक आय कम।

3-बढ़ता वित्तीय असंतुलन

वर्तमान में रक्षा बजट का लगभग 83% वेतन एवं पेंशन पर खर्च हो जाता है [a] रही बात शेष बजट से सेना का आधुनिकीकरण करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

ऐसा प्रतीत होता है कि इस  अग्निपथ योजना के माध्यम से पेंशन में खर्च होने वाला बजट सेना के आधुनिकीकरण के काम आयेगा।

4-लाभ

(1)धीरे धीरे देश अनिवार्य सैनिक सेवा की ओर अग्रसर होगा।

(2) पेंशन न देने के कारण बचत का बजट सेना के आधुनकीकरण में काम आयेगा। 

योजना का विरोध

नवयुवकों द्वारा अग्निपथ का विरोध  जिस ढंग से किया जा रहा है वह निंदनीय है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, आगजनी करना , आवागमन बाधित करना जैसे कार्य राष्ट्र विरोधी हैं।

अभिमत 

(1 ) सेना से अवमुक्त अग्निवीरों को केन्द्रीय असैनिक बलों / प्रांतीय सशस्त्र पुलिस में कुछ पद  आरक्षित किए जा सकते हैं।

(2) सेना से अवमुक्त अग्निवीरों को केन्द्र/राज्य की सेवाओं में कुछ वेटेज अंक भी दिए जा सकते हैं जैसे NCC के लिए वेटेज अंक दिए जाते हैं।

(3) नवयुवकों  द्वारा इस योजना का  विरोध करने का तरीका अनुचित एवं निंदनीय।

(4) अग्निवीरों को राज्यों में होम गार्ड  सेवा में वरीयता दी जानी चाहिए।





शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

गार्गी : एक महान दार्शनिक

 --अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 



 




   जब जब वैदिक कालीन दार्शनिकों ,विद्वानों एवं तत्व वेत्ताओं का उल्लेख होता है  तब तब महिला विद्वानों में ब्रह्मवादिनी कन्या  गार्गी का  उल्लेख सर्वोपरि होता है। गार्गी,  गर्गवंशीय वचक्नु नामक  ऋषि की पुत्री थी और नाम रखा गया " वाचकन्वी गार्गी "। गार्गी का जन्म लगभग 700 ईसा पूर्व माना  जाता है। 

 विदुषी  गार्गी ने एक बार तात्विक वाद विवाद में ऋषि याज्ञवल्क्य  को भी निरुत्तर कर दिया था। ऋषि याज्ञवल्क्य अपने समय के सर्वश्रेष्ठ दार्शनिक माने  जाते थे और आज भी। गार्गी ने न  केवल वैदिक वाद विवाद में ख्याति प्राप्त की अपितु वेदों की ऋचाओं के लिखने भी अमूल्य योगदान किया। 

ऋषि याज्ञवल्क्य की दो पत्नियां थी कात्यायनी और मैत्रेयी।  कात्यायनी गृहस्थ महिला थी जब कि मैत्रेयी विदुषी , तत्व वेत्ता एवं अपने पति  द्वारा रचित वेदों की ऋचाओं को लिपिवद्ध करने में सहायता करती  थी। अतः ऋषि याज्ञवल्क्य मैत्रेयी का बहुत अधिक आदर करते थे। 

देवी के रूप में गार्गी की पूजा 

चूँकि ऋषि याज्ञवल्क्य अपनी पहली पत्नी कात्यायनी की तुलना में दूसरी पत्नी मैत्रेयी का  बहुत  आदर करते थे इसलिए कात्यायनी ,मैत्रेयी से मन ही मन ईर्ष्या करने लगी। एक दिन ऐसा आया कि वाचकन्वी गार्गी  शास्त्रार्थ  के लिए ऋषि याज्ञवल्क्य  के आश्रम आ पहुंची। शास्त्रार्थ में  गार्गी ने ऋषि याज्ञवल्क्य को निरुत्तर कर दिया। इस घटना से कात्यायनी अति प्रसन्न हुईं और वाचकन्वी गार्गी की भूरि भूरि प्रशंसा की।

गार्गी -याज्ञवल्क्य संवाद 







कात्यायनी ,ऋषि कात्यायन की पुत्री थीं। कात्यायनी ने याज्ञवल्क्य को निरुत्तर करने देने  वाली गार्गी की प्रशंसा का सन्देश अपने पिता कात्यायन  भेजा। चूँकि बेटी का सम्मान ससुराल में कम था इसलिए  याज्ञवल्क्य के पराजित होने पर  कात्यायन ऋषि अति प्रसन्न हुए और उन्होंने  अपने कात्यायन  गोत्र  (वंश )के लोगों को विदुषी गार्गी का सार्वजानिक रूप में सम्मान करने को कहा. तब से आज तक कात्यायन गोत्रीय (मिश्र ) लोग विदुषी गार्गी का सम्मान करते आ रहे हैँ. कालांतर में विदुषी गार्गी के सम्मान के स्थान पर देवी के रूप में पूजा होने लगी  जो आज तक हो रही है.यह पूजा वर्ष में दो बार होती है पहली पूजा चैत्र मास में बासंती नवरात्रि के बाद त्रयोदशी को और दूसरी पूजा आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि के बाद त्रयोदशी को की जाती है.

कात्यायन गोत्रीय मिश्र, नव देवियों की ही भांति गार्गी देवी की पूजा करते हैँ. और इस अवसर पर अपने बच्चों के कर्ण भेदन, मुंडन आदि  संस्कार भी आयोजित करते हैँ.

वाचकन्वी गार्गी आजन्म अविवाहित रहीं.

--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.


अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस की प्रतिष्ठा गिरी

 ब्लॉगर : अशर्फी लाल मिश्र अशर्फी लाल मिश्र कहावत है कि हर ऊँचाई के बाद ढलान  होती है । ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने में कांग्रेस ने जनता ...