बुधवार, 29 मार्च 2017

नोटबंदी 2016 : एक साहसिक कदम


Asharfi Lal Mishra
                                                                                                                   
            Narendra Modi 

८ नवम्बर २०१६ को रात्रि ८  बजे भारत के प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी ने अपने दूर दर्शन के प्रसारण में ५०० रुपये और 1000 रुपये के नोटों का रात्रि १२ बजे के बाद  से  प्रचलन बन्द करने  की सूचना राष्ट्र को  दी गयी। इस तथ्य का पूर्वानुमान मीडिया को भी नहीं था।  नरेंद्र मोदी का यह कदम केवल साहसिक ही नहीं था वल्कि जोखिम  भरा भी था।

 विमुद्रीकरण की आवश्यकता 

(१) आतंरिक काले धन को बाहर निकलना.
(२) समांतर प्रचलित मुद्रा को रोकना।
(३) आतंकवाद और नक्सलवाद पर नियंत्रण पाना।
(४) महगाई पर नियंत्रण पाना।
(५) अचल संपत्ति पर हो रही ऊँची कीमतों पर नियंत्रण पाना।
(६)भूमाफियाओं पर नियंत्रण पाना
(७) चुनाव में काले धन पर लगाम लगाना।

  विमुद्रीकरण  के लाभ 

(१)आतंरिक काले धन के बैंकों में  पंहुचने पर लोगों की क्रय क्षमता कम हो गयी और अचानक मंहगाई पर नियंत्रण लग गया।
(२)भूखंडो ,फ्लैटों आदि अचल संपत्ति के दाम अचानक ३०% तक  कम हो गये
(3)नक्सली और आतंकी घटनाओं में कमी आयी।
(4) नोटबंदी  के फल स्वरुप  2.24 लाख फर्जी कम्पनियाँ बंद [4 ]
 आम जनता पर प्रभाव 

(१) काले धन वालों ने प्रथम बार गरीब लोगों से काले धन को सफ़ेद करने में मदद मांगी।
(२) बड़े -बड़े राज नेता भी इस   निर्णय   से   भयभीत  हो गए
(३)  इस साहसिक कदम  का  आम जनता में गये सन्देश  को विपक्ष   समझ नहीं  सका।
(४) इस विमुद्रीकरण की सम्पूर्ण विश्व में प्रशंसा हुई.
(५)इससे भारत में निवेश करने वाले   वैदेशिक उद्योगपतियों में भारत के प्रति विश्वास जाग्रत हुआ।
(६) जी -२० के देशों ने भी इस निर्णय की प्रशंसा की।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्रशंसा                                           

                                                                      रिचर्ड थेलर
भारत में हुई नोटबंदी की प्रशंसा  वर्ष २०१७ में अर्थशास्त्र का नोबल प्राइज पाने वाले रिचर्ड थेलर  ने की थी। [1]
अमेरिकी अर्थशास्त्री  रिचर्ड थेलर  ने अपने ट्वीट में कहा था कि  "यही वह नीति है जिसका मैंने लंबे समय से समर्थन किया है। कैशलेस की तरफ यह पहला कदम है और भ्रष्टाचार कम करने के लिए अच्छी शुरुआत।" [2]  अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड  ने भारत में हुई नोटबंदी  की प्रशंसा की [2] [3]

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