[Blogger : Asharfi Lal Mishra ]
नाम : राम खेलावन मिश्र
जन्म : मार्च 25, 1909 ,इंजुवारामपुर कानपुर।[1]
मृत्यु : सितम्बर 02,1982 ,इंजुवारामपुर कानपुर।
राष्ट्रीयता : भारतीय
व्यवसाय: शिक्षक ,सामाजिक कार्यकर्ता
प्रसिद्धि कारण: प्रधान ,सामाजिक कार्यकर्ता
जीवनसाथी : रेणुका देवी
बच्चे : तीन पुत्र
Ram Khelawan Mishra |
राम खेलावन मिश्र
(जन्म मार्च 25.1909 --मृत्यु सितम्बर ०2,1982) जन्म से क्रन्तिकारी विचारों के थे। इनका जन्म ब्रिटिश साम्राज्य भारत के यूनाइटेड प्रोविंस (उत्तर प्रदेश ) के कानपुर जिले के ग्राम इंजुवारामपुर (इन्जुआरामपुर) में मार्च २५ ,१९०९ को हुआ। [1]a
जीवन परिचय
इनके पिता नाम नन्हा था। वर्ष 1926 में इन्होने मिडिल स्कूल डेरापुर , कानपुर वर्तमान में डेरापुर, कानपुर देहात से वर्नाक्यूलर फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष १९२७ में रेणुका देवी से विवाह हुआ। इसी वर्ष प्राइमरी स्कूलमें शिक्षक बने।
क्रांतिकारी
चूँकि यह बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों के थे इसलिए शिक्षण कार्य में मन नहीं लगा और शिक्षण कार्य से त्याग पत्र देकर भारत में चल रही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। वर्ष १९४२ में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध इनका जन जागरण अभियान बहुत उग्र था। गांव के समीप से जाने वाली उत्तरी रेलवे के किनारे टेलीफोन लाइन का लगभग २०० मीटर तार काट कर भूमिगत हो गए। इसी बीच जुरिया के शिवराम पाण्डेय ,बड़ागांव भिक्खी के शम्भू दयाल चतुर्वेदी और बहिरी उमरी के शिशुपाल सिंह और कठारा के जंग बहादुर सिंह आजादी के इस अभियान में कूद कर ब्रिटिश सरकार को ललकारा और रेलवे की संचार व्यवस्था ठप्प कर दी।[2]
समाज सेवा
1-गांव के तालाबों में जल भराव के लिए ग्रामीणों के सहयोग से तालाबों को गहरा कराया जिससे पशुओं के पीने एवं स्नान के लिए पानी की समस्या का निराकरण हुआ।
2- गांव में छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए प्राथमिक पाठशाला खुलवाई गई।
3-भारत के स्वतंत्र होने पर ग्रामवासियों ने उन्हें सर्व सम्मति से प्रधान चुन लिया।[3] दूसरी बार भी ग्रामवासियों ने प्रधान बनाना चाहा परन्तु इन्होने अस्वीकार कर दिया।
4-गांव में अपने ही चबूतरे पर प्राथमिक पाठशाला का संचालन शुरू करवाया। इस चबूतरे को पंचायती चबूतरा कहा जाता था।
स्वतन्त्रता दिवस पर सर्व प्रथम इसी चबूतरे पर तिरंगा फहराया गया था। बाद में इसी चबूतरे पर स्वतन्त्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के समारोह आयोजित किये जाने लगे।
मृत्यु
जनता की सेवा करते हुए २ सितम्बर १९८२ को उनका देहांत हो गया।
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