द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
इक दिन ऐसा आयेगा,
पानी पेट्रोल बन जायेगा।
यों तो कहने में ज़रा अटपटा लग रहा है कि भविष्य में पेट्रोल -डीजल की भांति भूमि जल पर भी सरकार का पूर्ण या आंशिक नियंत्रण हो जाने की पूर्ण संभावना है लेकिन जो वर्तमान में परिस्थितियां बन रही हैं या दिखाई दे रही हैं उनसे साफ साफ़ परिलक्षित होता है कि भविष्य में भूजल पर भी किसी न किसी रूप में सरकारी नियंत्रण अवश्य होगा। अब आगे हम उन परिस्थितियों पर दृष्टिपात करेंगे :
1 -वर्षा कम होना
2 -जल संचयन के लिए तालाबों का गहरा न होना।
3- बहुत से तालाब अतिक्रमण के कारण अपने छोटे आकर में।
4- बहुत से तालाब खेतों में परिवर्तित हो गये।
3 - भूमि जल के रिचार्ज न होने से भूमि जल के स्तर का गिरना।
4 - भूमि जल - रिचार्ज की तुलना में जल दोहन का अधिक होना।
5- वर्षा ऋतु में खेतों में जायद की फसलें होना।
उक्त बिंदुओं पर यदि हम गहराई से विचार करें तो पाते हैं कि भविष्य में भूमि जल ,जो आज आम उपभोक्ता के लिए सर्व सुलभ है उसमें शायद परिवर्तन की स्थिति आ सकती है। भविष्य में ऐसी भी स्थिति आ सकती है कि अन्य खनिजों की भांति भूमि जल पर सरकार का स्वामित्व हो जाये।
सुझाव
1- भूमि जल का दुरूपयोग न करें।
2 -खेतों में मेड़ों को ऊंचा कर वर्षा का जल रोकें।
3 - सभी तालाब अतिक्रमण मुक्त हों।
4 -चूँकि अब सभी जगह पक्के मकानों का प्रचलन है इस लिए गावों में भी तालाब गहरे नहीं हो रहे हैं इसलिए तालाबों से मिटटी खोदने के लिए पूर्ण स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
5 - गावों या कस्बों में जल प्रवाह बावड़ी , तालाबों की ओर हो जिससे पहले बावड़ी और तालाब जल से भर सकें।
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