Asharfi Lal Mishra |
Updated on 01/08/2024
सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/ST वर्ग में कोटे के अंतर्गत कोटा स्वीकृत हुआ।1(a)
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय |
Updated on 21/03/21
सविधान सभा की बहस में आंबडेकर ने गोपाल कृष्ण गोखले के कथन का उल्लेख किया था कि " ब्रिटिश राज्य के कार्यकाल में शासन में सवर्णों को उचित प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण वे अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन नहीं कर सके, ऐसी स्थिति में भारतीय दलित समाज की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है । "
आम्बेडकर ने सामाजिक, शैक्षिक रूप से पिछड़े दलित लोगों के निमित्त आरक्षण की मांग उठाई।
गाँधी जी ने अपनी किताब " मेरे सपनों का भारत " में लिखा कि " प्रशासन योग्य व्यक्तियों के हाथों में होना चाहिए। प्रशासन न सांप्रदायिक हाथों में हो और न ही अयोग्य हाथों में। "[1]
एस सी /एस टी का आरक्षण
अन्ततोगत्वा सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े दलितों (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ) को
22. 5 % का आरक्षण सुनिश्चित हुआ। इस आरक्षण का उद्देश्य था कि समाज में जो असमानता है वह दूर हो जाय।
आज समाज में इस वर्ग में बहुत से लोग शैक्षिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से समुन्नत हो चुके हैं।
प्रारम्भ में यह आरक्षण 10 वर्षों के लिए हुआ था लेकिन धीरे धीरे यह आरक्षण गत 70 वर्षों से चला आ रहा है। इस आरक्षित वर्ग में आज एक वर्ग ऐसा है जो सामाजिक ,शैक्षिक एवं आर्थिक हैसियत में उच्चतम स्तर पर है। इस वर्ग के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी भी आरक्षण की सुविधा को छोड़ना नहीं चाहते। इससे इस वर्ग के गरीब लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।
अगर इस वर्ग के आरक्षण की समीक्षा हो और क्रीमीलेयर का विधान लागू कर दिया जाय तो एस सी /एस टी वर्ग के गरीबों को लाभ मिल सकता है लेकिन आज आरक्षण वोट बैंक भी है इसलिए इस वर्ग के राजनेता क्रीमीलेयर लागू नहीं होने देते। इस वर्ग के राज नेता अपने ही वर्ग के गरीबों के हितैषी न होकर अपने वोट बैंक की ओर दृष्टि रहती है।
इस आरक्षण को लागू हुए सात दशक बीत गए और बिना समीक्षा के ही आरक्षण बढ़ता रहा।
आज समाज में घर के बाहर कहीं भी भेद भाव नहीं है। जैसे रेल,बस ,वायुयान ,टैक्सी आदि यात्रा में ; सार्वजानिक सभाओं,समारोहों ,होटल आदि जगहों पर। शायद ही किसी मंदिर में प्रवेश के समय जाति पूँछी जाती हो।
आज देश में कोई ऐसी शिक्षण संस्था नहीं है जहां जाति के अनुसार प्रवेश वर्जित हो।
आज इस वर्ग के लोग प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अच्छे अंक ला रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि इस वर्ग के लोग सामाजिक ,शैक्षिक दृष्टि से समुन्नत हो गए हैं। अतः एस सी /एस टी वर्ग के आरक्षण की समीक्षा हो और समय समय पर समीक्षा होती रहनी चाहिए। समीक्षा में कुछ सम्मुनत जातियों को आरक्षण से बाहर और शेष जातियों में क्रीमीलेयर का नियम लागू किया जा सकता है।
ओ बी सी का आरक्षण
20 दिसम्बर 1978 को मोरार जी देसाई ने संसद में O B C आरक्षण के लिए बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में आयोग की घोषणा की। 12 दिसंबर 1980 को मंडल आयोग ने रिपोर्ट दी। मंडल आयोग ने सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ी जातियों के लिए 27 % आरक्षण देने की संस्तुति की। 13 अगस्त 1980 को वी पी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने मंडल आयोग की सिपारिश को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी। [2]
आज ओ बी सी वर्ग में आरक्षण के बाद देश में कई ऐसी जातियां हैं जो सामान्य जाति से भी आगे सामाजिक ,शैक्षिक एवं आर्थिक दृष्टि से स्थान बनाने में सफल हैं। O B C वर्ग में जिन जातियों ने सामाजिक ,शैक्षिक और आर्थिक दृष्टि आशातीत समुन्नत हुए हैं उनमें कुछ जातियों का विवरण नीचे दिया जा रहा है।
1 - अहीर :
आज सम्पूर्ण अहीर समाज यदुवंशी क्षत्रिय के रूप में समाज में विख्यात है; और सभी लोग अपने नाम के आगे यादव लिखते हैं। शैक्षिक दृष्टि से भी बहुत आगे हैं। इस जाति के लोग सेना ,पुलिस , चिकित्सा ,शिक्षा ,न्यायपालिका , अखिल भारतीय सेवाओं ,राजनीति आदि में सामान्य जाति से भी आगे हैं। वर्तमान में शिक्षा के प्रसार में भी शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने में भी आगे हैं। अतः अहीर (यादव ) को O B C आरक्षण से बाहर किया जा सकता है ।
कुर्मी :
कुर्मी अपने को समाज में कुर्म क्षत्रिय लिखते हैं। इस वर्ग के लोग अपने नाम के आगे कटियार , सचान ,गंगवार ,पटेल आदि उपनाम लिखते हैं। समाज में सामान्य जातियों की भांति इन्हें सम्मान प्राप्त है। शैक्षिक दृष्टि से भी उच्च शिक्षित हैं। इस जाति के लोग सेना , पुलिस ,चिकित्सा ,शिक्षा,न्यायपालिका ,अखिल भारतीय सेवाओं ,राजनीति आदि में सामान्य जाति से भी आगे हैं। शिक्षा के प्रसार में भी इस जाति द्वारा शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने में भी विशेष योगदान है। अतः कुर्मी जाति को O B C आरक्षण से बाहर किया जा सकता है।
भट्ट :
इस जाति के लोग अपने को ब्रह्मभट्ट भी लिखते हैं और अपने नाम के आगे शर्मा उपनाम लिखते हैं। समाज में यह लोग ब्राह्मणों के समकक्ष सम्मानित हैं। आज यह जाति सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से समुन्नत है। इस जाति को भी O B C आरक्षण से बाहर किया जाना चाहिए।
जाट :
आज जाट भी सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से समुन्नत हैं।आज इस वर्ग के लोग सेना ,पुलिस ,चिकित्सा ,शिक्षा,न्यायपालिका ,अखिल भारतीय सेवाओं एवं राजनीति में उच्च स्थान बनाने में सफल हैं। इस जाति को भी O B C आरक्षण से बंचित किया जाना चाहिए।
लोधी :
लोधी भी आज अपने को राजपूत लिखते हैं समाज में सम्मानित हैं। शैक्षिक दृष्टि से भी समुन्नत है। आज इस वर्ग के लोग सेना ,पुलिस ,चिकित्सा ,शिक्षा,न्यायपालिका ,अखिल भारतीय सेवाओं एवं राजनीति में उच्च स्थान बनाने में सफल हैं। इस जाति को भी O B C आरक्षण बाहर किया जाना चाहिए। ।
इसी प्रकार अन्य बहुत सी जातियां भी सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से समुन्नत हो चुकी है उन्हें भी आरक्षण से बाहर किया जा सकता है।
आरक्षण की समीक्षा के लिए एक आयोग बने जो यह देखे कि वर्तमान में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से कौन कौन जातियां समुन्नत हैं। राजनीतिक दल वर्तमान स्थिति की ओर ध्यान न देकर 70 वर्ष पहले की बात करके नौकरियों में बैक लॉग की बात करते हैं जो निश्चित ही वोट बैंक की ओर इशारा है।
अभिमत :
1 -समय समय पर आरक्षण की समीक्षा की जानी चाहिए।
2 - सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से सम्मुन्नत जातियों का आरक्षण समाप्त किया जाना चाहिए।
3 -समीक्षा वर्तमान सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि में रखकर होनी चाहिए।
4 - बैक लॉग वर्तमान समानता की ओर संकेत न करके 70 वर्ष पहले की असमानता का ओर संकेत देता है। समीक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में हो।
5 - एस सी /एस टी वर्ग में जो नव धनाढ्य वर्ग है और सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से समुन्नत हो गया है उसे आरक्षण की सुविधा से बंचित किया जा सकता है शेष SC/ST जातियों में क्रीमीलेयर का तत्काल प्राविधान किया जाना चाहिए ।
5 - आरक्षण व्यवस्था राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक है इसलिए कोई भी राजनीतिक दल आरक्षण की समीक्षा की पहल नहीं करना चाहता है। आरक्षण की समीक्षा न होना खेद जनक है।
6-आरक्षण कितनी पीढ़ियों तक चलेगा यह चिन्ता का विषय है अतः आरक्षण की शीघ्र समीक्षा होनी चाहिए।
वाह! बहुत खूबसूरत आलेख आदरणीय । सही कहा आपनें ,अपना
जवाब देंहटाएंवोट बैंक बचाने के लिए कोई भी इस समीक्षा के लिए पहल नहीं करता ।निज स्वार्थ ही सर्वोपरि है यहाँ ।
शुभा जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।
उपयोगी आलेख।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंअच्छा आलेख जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंआरक्षण होना ही नहीं चाहिए यदि हो तो आर्थिक आधार पर
जवाब देंहटाएंलेकिन राजनीति के खेल में आरक्षण एक हथियार बना गया है.......,
विचारणीय प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार।
हटाएंअभिमत कुछ भी हो लेकिन हर राजनैतिक दल वोटों की राजनीती करते ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख
बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआपने तर्क के आधार पर अपनी बात रखी है। होना तो यही चाहिए लेकिन क्या होगा। लगता नहीं। आपको इस सार्थक लेख के लिए साधुवाद। सादर।
जवाब देंहटाएंआप का बहुत बहुत आभार।
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