अशर्फी लाल मिश्र |
अगर ध्यान से देखा जाय तो यह पता लग जायेगा कि हर वस्तु की गुणवत्ता में क्रमशः कमी आ रही है। वस्तुओं के मूल्य में धीरे धीरे इजाफा हो रहा है।
कुछ कम्पनियाँ ऐसी हैं कि प्रोडक्ट पैकेट के मूल्य में कमी नहीं करती लेकिन उनके भार में धीरे धीरे कमी करती जा रही हैं यह कंपनियों की चतुराई है और ग्राहक आँख बंद कर सामान खरीद रहा है। सरकार की भी इस ओर आँखें बंद नजर आ रही हैं।
अब हम नीचे कुछ कंपनियों और उनके प्रॉडक्ट की चर्चा कर रहे हैं।
1-Harpic
Harpic |
Harpic एक टॉयलेट क्लीनर है जिसकी प्रशंसा का बखान टी वी पर विज्ञापन भी देखा जा सकता है । पहले जहां इस टॉयलेट क्लीनर की गुणवत्ता अच्छी थी और कीमत 500 ml की रु 55/= थी। आज इस प्रॉडक्ट की गुणवत्ता पहले से बहुत ही खराब है और कीमत 500 ml की Rs.86/= है। उपभोक्ता केवल ट्रेड मार्क देख कर खरीद करता है और वह ठगा जाता है।
2-Areal washing powder
उक्त Ariel washing powder है जिसकी गुणवत्ता पहले बहुत अच्छी थी लेकिन आज इसकी गुणवत्ता बहुत ही खराब है। लोग केवल ट्रेड मार्क देखकर खरीद करते है और ठगे जा रहे हैं।
3-घडी डिटर्जेंट केक
उक्त घडी डिटर्जेंट केक निरमा कंपनी का प्रॉडक्ट है। प्रारम्भ में उक्त केक का भार 250 ग्राम था और कीमत रु 10 /= थी। आज केक का भार 185 ग्राम और कीमत रु 10 /= उपभोक्ता समझ ही नहीं पा रहा है कि केक का भार धीरे धीरे कम क्यों होता जा रहा है।
4 - Dettol Soap
उक्त Dettol Soap स्नान करने वाला साबुन है जिसका भार 75 ग्राम है आज इस दाशमिक प्रणाली के युग में केक का भार 100 ग्राम या फिर 50 ग्राम हो सकता है लेकिन 75 ग्राम केक का कोई औचित्य नहीं दिखता।
5-Colgate maxfresh tooth paste
उक्त चित्र में Colgate maxfresh tooth paste है जिसका भार 70 +14 ग्राम है। उक्त पेस्ट का इस दाशमिक युग में 70 ग्राम भार अनुचित है।
कहने का तात्पर्य यह है कि लोग ठगे जा रहे हैं ; कहीं भार में कमी और कहीं गुणवत्ता में कमी। मूल्य में बढ़ोत्तरी तो सबको दिखती है लेकिन भार में कमी और गुणवत्ता में कमी कर ठगने की विद्या किसी किसी को ही दिखती है। शासन का भी इस ओर ध्यान कम ही जाता है।
अभिमत
1 - सभी पैकेट बंद वस्तुओं का भार दाशमिक प्रणाली के अनुरूप हो।
2- पैकेट का भार कम करना एक प्रकार से ठगी है और इसे रोका जाना चाहिए।
3- किसी भी प्रॉडक्ट की गुणवत्ता में (विशेषकर खाद्य पदार्थ में ) कमी होने पर संगेय अपराध घोषित हो। अखाद्य पदार्थों में भी गुणवत्ता में कमी होने पर दंड का विधान हो।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को "आदमी के डसे का नही मन्त्र है" (चर्चा अंक-4033) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंसत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हमारा लेख चर्चामंच में शामिल करने के लिए मयंक जी आप का हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सारगर्भित विषय पर आपका आलेख सार्थक और संदेशपूद है,सादर शुभकामनाएं ,मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
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