मंगलवार, 21 मार्च 2017

भई गति सांप छछूंदर केरी

लेखक : अशर्फी लाल मिश्र 


Asharfi Lal Mishra







 


छछूंदर की यह विशेषता है कि यदि सांप उसे निगल ले तो या तो वह अन्धा हो जाता है या फिर  मर जाता है.  दांतों की विशेष बनावट के कारण सांप , छछूंदर को बाहर उगल नहीं सकता एवं प्राण हानि के भय से वह उसे निगलना भी नहीं चाहता ऐसी परिस्थिति में फंसे साँप की गति के समान परिस्थितियों में फंसे व्यक्ति की तुलना  की  जाती है. रामचरित मानस  में कौशिल्या की ऐसी ही मनोदशा  द्रष्टव्य है :

धरम सनेह उभय मति घेरी। भइ गति साँप छछूंदर केरी।
राखउ सुतहिं करउं अनुरोधू। धरम जाइ अरु बन्धु विरोघू।।~~ तुलसी

  रासो परंपरा में छछूंदर रायसा  एक हास्य व्यंग आधारित   अत्यंत छोटी  कृति  है। इसमें लिखा है कि एक बार छछूंदर  कुंवे में  गिर पड़ी उसे कौन निकाले। किसकी भुजाओं में सामर्थ्य है :

गिरी छछूंदर कूप में भयौ चहूं दिसि सोर।
जो बाहर काड़ै कुआ को है भुजबल जोर।।

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