शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

Notable teachers of Kanpur Dehat district

 By-Asharfi Lal Mishra






A brief description of selected notable teachers of Kanpur Dehat is given bellow:-

1-Prakash Chandra Mishra [1]

He was the founder principal at Galuapur Inter College Galuapur . He was the awarded teacher by state government of Utter Pradesh . He was devoted to the school.


2-Asharfi Lal Mishra [1] 1(a)

Asharfi Lal Mishra







He was an eminent  teacher of mathematics at Galuapur Inter College Galuapur . He was counted among the best mathematics teachers in undivided Kanpur district. [3] [4] The book of Geometry written by him was very popular. He was awarded Teacher Award in the year 1998. [5]  He was devoted to school.He is an educationist ,author [7] ,poet [6] [6a] and a good blogger [8]  [9]  too.His literary services are available digitally.[10] .He is also Youtuber. [11]


3-Ganga Charan Agnihotri [2] 

He was founder principal at RPS Inter College Rura . He was devoted to the school.


4-Ram Khilawan Shukla [2]

He was an eminent teacher at RPS Inter College Rura  and a good artist too.


5-Radhey Shyam Chaturvedi [1]

He was an eminent English teacher at Galuapur Inter College Galuapur.


6- Rameshwar Prasad Dwivedi 

He was founder principal at R S G U Post Graduate Degree College Pukhrayan . He was member of Uttar Pradesh Secondary Education Commission. He was devoted to the college.


7- Chandrika Prasad Pandey 

He was founder principal of Akbarpur Inter College Akbarpur .He was devoted to the school.


8- Radhey Shyam Katiyaar 

He was founder principal at Gram Vikas Inter College Budhauli . He was devoted to the school.


9- Prabhu Dayal Katiyar

He was founder principal at Patel Vidyapeeth Inter College Baraur .He was devoted to the school.


सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

कानपुर देहात जिले के उल्लेखनीय शिक्षक (रिपोर्ताज)

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






कानपुर देहात के चुनिंदा उल्लेखनीय शिक्षकों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है :


1-प्रकाश चंद्र मिश्र (Prakash Chandra Mishra)[a]

Galuapur  Inter  College Galuapur   के संस्थापक प्रधानाचार्य  थे। राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत शिक्षक थे।अनुशासन प्रिय, विद्यालय के लिए समर्पित थे।


2-अशर्फी लाल मिश्र (Ashrafi Lal Mishra)[a] 1[ a]


अशर्फी लाल मिश्र 

Galuapur Inter College Galuapur में गणित शिक्षक थे।[1] [2] अविभाजित कानपुर जिले में गणित के श्रेष्ठ शिक्षकों में गिनती थी। इनके द्वारा लिखी गई रेखागणित की पुस्तक काफी लोक प्रिय थी।[3] 1998 में शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित।[4] अनुशासन प्रिय एवं विद्यालय के लिए समर्पित थे। आप एक शिक्षाविद ,कवि[5] 5(a) ,लेखक[6] एवं ब्लॉगर [7] [8] हैं। आप की साहित्यिक सेवाएं डिजिटल हैं।[9] । अनुशासन प्रिय एवं विद्यालय के लिए समर्पित शिक्षक थे। 


3-गंगा चरण अग्निहोत्री (Ganga Charan Agnihotri)[b]

R P S Inter College  Rura  में संस्थापक प्रधानाचार्य थे।इनके कार्य काल में विद्यालय को कला, विज्ञान,कृषि एवं वाणिज्य वर्ग में इण्टर की  एक साथ मान्यता मिली। अनुशासन प्रिय एवं विद्यालय के लिए समर्पित थे। 


4- राम खिलावन शुक्ल (Ram Khilawan Shukla )[b]

R P S Inter College Rura में हिंदी विषय के प्रतिष्ठित शिक्षक थे। नाटक में अभिनय भी करते थे। अनुशासन प्रिय एवं समर्पित शिक्षक थे। 


5 - राधेश्याम चतुर्वेदी (Radhey Shyam Chaturvedi)[a]

 Galuapur Inter College Galuapur में अंग्रेजी के शिक्षक थे। अनुशासन प्रिय एवं समर्पित शिक्षक थे। 


6 -रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी (Rameshwar Prasad Dwivedi)

R S G U Post Graduate College Pukhrayan के संस्थापक प्राचार्य  थे।  उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा आयोग  के सदस्य थे। अनुशासन प्रिय और संस्था के लिए समर्पित थे। 


7- चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय (Chandrika Prasad Pandey)

Akbarpur Inter College Akbarpur के संस्थापक प्रधानाचार्य थे। अनुशासन प्रिय एवं संस्था के लिए समर्पित थे।

 

8 -राधे श्याम कटियार (Radhey Shyam Katiyar) 

Gram Vikas Inter College Budhauli के संस्थापक प्रधानाचार्य थे। अनुशासन प्रिय और विद्यालय के लिए समर्पित थे। 


9 -प्रभु दयाल कटियार (Prabhu Dayal Katiyaar ) 

Patel Vidyapeeth Inter College Baraur के संस्थापक प्रधानाचार्य थे। अनुशासन प्रिय और संस्था के लिए समर्पित थे। 


शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

जनतांत्रिक मूल्यों में ह्रास

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र 



जैसे जैसे भारतीय लोकतंत्र की आयु बढ़ती जाती है वैसे वैसे लोकतांत्रिक मूल्यों में ह्रास होता जाता है। 2021 में  भारत  स्वतंत्रता की हीरक जयंती का उत्सव मनाने जा कहा है फिर भी कुछ  दिशाओं में सरकार आगे बढ़ने का साहस  नहीं कर पा रही है। 

सरकार चाहे किसी भी राजनीतिक दल की हो लेकिन  आज तक जनप्रतिनिधियों की योग्यता निर्धारित करने पर सभी दल शांत  रहते हैं। 

आज चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा तक की सेवा में जाने के लिए योग्यताएं निर्धरित है लेकिन जिनके हाथ में सत्ता की बागडोर है उनके लिए आज तक कोई भी योग्यता निर्धारित नहीं है।  

जनतंत्र के उद्भव काल में  लोक सभा , विधान सभाओं आदि के निर्वाचन में समाज सेवा के  लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति ही चुनाव मैदान में उतरते थे लेकिन आज स्थिति इसके बिलकुल विपरीत है। आज स्थिति यह है कि न ही शिक्षा की जरूरत है ,न ही  समाज सेवा की। 

आज चुनाव मैदान में उतरने के लिए जरूरत है :

1 -धनबल 

2 -क्षेत्र में दबदबा 

3 - कानून से बचने की क्षमता 

4 -आपराधिक छवि 

5  -दल के मुखिया की जनता में छवि


चूंकि उम्मीदवार की समाज में कोई पृष्ठ भूमि नहीं होती अतः धनबल से ही समाज में पहचान बनाई जा सकती है। 

यदि क्षेत्र में दबदबा है तो भी जनता से वोट मिलने की उम्मीद की जा सकती है। 

भारत निर्वाचन आयोग या राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सभी चुनावों में प्रत्येक पद के उम्मीदवार के लिए चुनाव में चुनाव व्यय निर्धारित है फिर भी इस सीमा का उल्लंघन करना बहुत ही आसान है। 

किसी भी चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले उम्मीदवार कितना भी धन प्रचार में खर्च  कर सकता है। अधिसूचना पूर्व प्रत्याशी द्वारा किया गया खर्च कानून की दृष्टि में कोई अपराध ही नहीं है। यह है क़ानून से बचने की प्रत्याशी क्षमता। 

अधिसूचना पूर्व प्रत्याशी लाखों/करोड़ों रुपये  अपने क्षेत्र में कट आउट ,होर्डिंग,पोस्टर ,बैनर ,वॉलपेंटिंग आदि पर खर्च कर देते हैं। 

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की अधिसूचना के पूर्व प्रत्याशी का  प्रचार 


चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रशासन उक्त प्रचार सामग्री को हटाने पर लाखों/करोड़ों रुपये व्यय करता  है। 

रहा न प्रत्याशी का दिमाग ब्यूरोक्रेसी के आगे आगे  चलता है।  जब पोस्टर ,बैनर लगाए जाते है या वाल पेंटिंग होती है  तब प्रशासन सोता है जब प्रत्याशी का जनता में प्रचार हो चुका होता है तब कहीं प्रशासन की नींद खुलती है। हमारा  कहने का आशय यह है जब अधिसूचना जारी नहीं होती उसके पहले ही प्रत्याशी क्षेत्र में  प्रचार सामग्री के माध्यम से अपने को सशक्त उम्मीदवार के रूप में जनता के बीच प्रस्तुत करने में सफल रहते हैं। पर्यावरण को कितनी हानि होती है यह न तो प्रत्याशी समझता है और न ही  प्रशासन। 

इस अप्रत्याशित प्रचार और खर्च पर प्रिंट मीडिया के  रिपोर्टर्स  की आँखें सदैव बंद रहती है.हर खम्भे पर लगे पोस्टर ,जगह जगह होर्डिंग ,बैनर हर किसी को आकर्षित करते हैं लेकिन लोकतंत्र के प्रहरी एवं  चतुर्थ  स्तम्भ की निगाह में ऐसा कुछ दिखाई ही नहीं देता। 

ओपिनियन 

1 - प्रत्येक स्तर पर  उम्मीदवार की अनिवार्य योग्यता निर्धारित हो। 

2 -अनिवार्य योग्यता में दो बच्चे वालों की प्रत्याशिता को जोड़ा  जा सकता है। जिससे देश में बढ़ रही जनसँख्या पर अंकुश लगेगा। 

3 - चूँकि पदों में आरक्षण है इसलिए आरक्षण में भी दो बच्चों की शर्त जोड़ी जा सकती है। इससे भी जनसँख्या में नियमन होगा। 

4 -अधिसूचना पूर्व चुनाव प्रचार  अवैध ठहराया जाय।

5 - यदि प्रत्येक पद की अनिवार्य शैक्षिक एवं समाज सेवा की अर्हता निर्धारित कर दी जाय तो चुनाव पूर्व प्रचार नहीं होगा एवं अधिसूचना के बाद प्रचार सामग्री हटाने की जरूरत नहीं होगी। 

6 - जनतंत्र को सुदृढ़ करने के लिए जनप्रतिनिधियों के लिए समाज सेवा अनिवार्य की जाय। इसके लिए समाज सेवा में सर्टीफिकेट  कोर्स ,डिप्लोमा कोर्स  एवं डिग्री (B. Tech.) पाठ्य क्रम प्रारम्भ किये जाय। 

   

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

Galuapur Inter College overview

लेखक: अशर्फी लाल मिश्र               
अशर्फी लाल मिश्र 








गलुवापुर इण्टर कॉलेज गलुवापुर ,कानपुर देहात -गणतंत्र दिवस 2021 समारोह का एक दृश्य 


23 जनवरी 2021 को अचानक व्हाट्सएप्प के माध्यम से  गलुवापुर  इण्टर कॉलेज गलुवापुर ,कानपुर देहात के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सिंह का एक आमंत्रण पत्र मिला जिसमे विद्यालय में हो रहे  72 वें गणतंत्र दिवस में सम्मिलित होने का अनुरोध किया गया था। 

अगले दिन 24 जनवरी 2021 को इसी विद्यालय के  छात्र और हमारे प्रिय शिष्य राम कुमार गुप्त (सेवा निवृत्त जनरल मैनेजर -NTPC ,वर्तमान सलाहकार -उत्तर प्रदेश विद्युत् उत्पादन निगम लिमिटेड ) व्हाट्सएप्प पर  सन्देश आया कि 
  "  मैं 72 वें गणतंत्र दिवस समारोह के  अवसर पर गलुवापुर इण्टर कॉलेज गलुवापुर ,कानपुर देहात  में मुख्य  अतिथि  के रूप में आमंत्रित हूँ "

 25 जनवरी 2021 को Ram Kumar Gupta का   फोन आया कि  
" आप समारोह में आइये हमें आप को समारोह में सम्मानित करना है "


अब हमने गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित होने की प्रधानाचार्य को फोन द्वारा सहमति प्रदान कर दी। 

72 वें गणतंत्र दिवस समारोह पर गलुवापुर इण्टर कॉलेज गलुवापुर ,कानपुर देहात  के छात्रों का एक दृश्य 


वाहन की असुविधा के कारण  हम समारोह में   लगभग 20 मिनट  विलम्ब से पहुँचे। कार्यक्रम में पहुँचने पर कार्यक्रम संचालक  एवं विद्यालय के वरिष्ठतम शिक्षक अजय कुमार पाल  द्वारा   माइक से  आने की  सूचना दी गई।  

विद्यालय के सभी छात्रों , शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ,आगंतुक अतिथियों सहित मुख्य अतिथि ने खड़े होकर करतल ध्वनि से  स्वागत किया। प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सिंह पटेल ने मुख्य अतिथि के बगल में बैठने के लिए स्थान दिया। हमारे द्वारा उन्हें धन्यवाद दिया गया। बाद  में प्रधानाचार्य द्वारा  माल्यार्पण कर एवं  बैज लगाकर हमें  सम्मानित किया। हमने उनका ह्रदय से आभार प्रकट किया. 

मंच पर बैठे अतिथिगण बाएं से दाएं --> सुरेश चंद्र द्विवेदी (पूर्व शिक्षक) ,जय नारायण मिश्र (पूर्व शिक्षक ),राम कुमार गुप्त (पूर्व छात्र ,निवर्तमान जनरल मैनेजर NTPC, Advisor-UPRVUNL), अशर्फी लाल मिश्र A(पूर्व शिक्षक ,शिक्षाविद ,कवि,लेखक एवं  [1] ,ब्लॉगर [2]), ओम प्रकाश सिंह पटेल (प्रधानाचार्य )

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने विद्यालय के मेधावी छात्रों एवं सांस्कृतिक कार्य क्रमों में भाग लेने वाले छात्रों को पुरस्कार वितरित किये। सम्पूर्ण सेवा निवृत्त शिक्षकों,शिक्षणेत्तर कर्मचारियों एवं कार्यरत शिक्षकों ें एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी मुख्य अतिथि ने पुरस्कार  देकर सम्मानित किया।  



समारोह में उपस्थित गणमान्य अतिथिगण 

इस विद्यालय के पूर्व छात्र एवं मुख्य अतिथि राम कुमार गुप्त ने अपनी माध्यमिक शिक्षा को जीवन में स्मरणीय एवं जीवन में मील का पत्थर कहा। उनहोंने कहा कि 
" मैंने इसी विद्यालय से हाई  स्कूल (विज्ञानं वर्ग) एवं इण्टर (विज्ञान वर्ग ) से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया है। हाई स्कूल में गणित में विशेष योग्यता प्राप्त हुयी थी। हमारे बायीं ओर बैठे  अशर्फी लाल मिश्र हमारे गणित शिक्षक  थे। "
कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य ने सभी का आभार व्यक्त किया। 

संस्था ऊँचाई के बाद ढलान पर: 
यह विद्यालय हमारा कार्य क्षेत्र रहा है। 18 वर्ष पश्चात् इस विद्यालय में किसी कार्यक्रम में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। विद्यालय के छात्रों , शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की संख्या देखकर लगा कि विद्यालय किसी प्रकार सिर झुकाकर चल रहा है जो विद्यालय का जिले में गौरव था वह अब इतिहास बन कर रह गया है। 


किसी समय विद्यालय में 50  से अधिक शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को मिला दें तो यह संख्या 70 से अधिक थी। विद्यालय में छात्र भी 3500 के लगभग थे। उस  समय हमारे लिए समय  सारिणी बनाने में छात्रों की संख्या के अनुसार कक्ष आबंटन  एवं फर्नीचर व्यवस्था करना एक काम था।   
आज विद्यालय में प्रधानाचार्य द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार विद्यालय में कुल 8 (1 +7 ) शिक्षक नियमित  एवं   1080 छात्र  हैं। 5  प्राइवेट शिक्षकों के साथ शिक्षण कार्य हो रहा है। 

छात्रों की संख्या के अनुसार विद्यालय में शिक्षकों की कमी है इससे शिक्षण कार्य प्रभावित होता है यद्यपि  प्रधानाचार्य कर्मठ हैं तथा  सहयोगी भी साथ दे रहे हैं लेकिन पर्याप्त शिक्षक न होने के कारण  शिक्षण कार्य तो प्रभावित होता ही है इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है। उत्तर प्रदेश शासन को  चाहिए कि विद्यालय में वांछित  शिक्षकों  की शीघ्र पूर्ति करे।  

ओपिनियन 
1- संस्था में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की कमी है।चूँकि संस्था सहायता प्राप्त शिक्षण संस्था है इसलिए  उत्तर प्रदेश सरकार  को चाहिए कि यथा संभव शिक्षकों की पूर्ति की  व्यवस्था करे।  
2-भवन भी जीर्ण शीर्ण है इसके लिए  रख रखाव के लिए भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 
3-डिजिटल शिक्षा में छात्र एवं शिक्षक दोनों ही अभी प्रारंभिक चरण में ही हैं.


 

  

अनर्गल बयानबाजी से कांग्रेस की प्रतिष्ठा गिरी

 ब्लॉगर : अशर्फी लाल मिश्र अशर्फी लाल मिश्र कहावत है कि हर ऊँचाई के बाद ढलान  होती है । ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने में कांग्रेस ने जनता ...