रविवार, 17 दिसंबर 2017

अगड़े और पिछड़ों के बीच पिसते गरीब

Asharfi Lal Mishra










                     आज देश में गर्रीबों के हित में  खुलकर कोई भी राजनीतिक दल खड़ा होने को तैयार नहीं है। इसका मुख्य कारण है कि  देश में अगड़ों और पिछड़ों वर्गों के बीच एक सीमा रेखा खींच दी गई है। सभी राजनीतिक दल संविधान /मंडल कमीशन का आश्रय लेकर इस मुद्दे को जीवित रखना चाहते  हैं।  पूर्व प्रधान मंत्री  विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मण्डल कमीशन की रिपोर्ट लागू कर अगड़े  और   पिछड़ों  के बीच जो  खाई  पैदा कर समाज का बंटवारा  कर  दिया है। शायद ही  कभी यह   सामाजिक खाई पाटी जा सके।

एस सी /एस टी वर्ग की स्थिति 
                       संविधान में अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्राविधान किया गया था। यह आरक्षण सामाजिक ,आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े होने की   दृष्टि से किया  गया था। आज  इन जातियों में  अनेक लोग ऐसे हैं जो सामाजिक ,आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से  उन्नत कहे जा सकते हैं  लेकिन  आरक्षण का लाभ छोड़ने को तैयार नहीं। आज एस सी /एस टी  के छत्रपों के लिए आरक्षण  सशक्त राजनीतिक हथियार है। आज एस सी /एस टी  के आरक्षण  का सम्पूर्ण लाभ इस वर्ग के साधन  संपन्न लोगों तक ही सीमित है और केवल इतना ही नहीं इस आरक्षण  लाभ लोग  पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त कर रहे हैं। इस वर्ग के उन्नत लोग कभी  गरीबों के हित में आरक्षण छोड़ने के लिए तैयार नहीं। कभी भी इस वर्ग के छत्रप नेताओं ने एस सी /एस टी  के गरीबों के आरक्षण की बात नहीं की। कभी किसी नेता ने क्रीमी लेयर की भी आवाज नहीं उठाई। आखिर क्यों ?

ओ बी सी वर्ग की स्थिति 
                       पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मण्डल कमीशन की रिपोर्ट लागू कर  जो अगड़े और पिछड़ों के बीच  समाज का बंटवारा कर दिया हैं  उसकी किसी भी  तरह से प्रशंसा नहीं की जा सकती   है।  मंडल कमीशन  की रिपोर्ट लागू होने से पिछड़े वर्गों को २७% आरक्षण का लाभ दिया गया। वर्तमान में क्रीमी लेयर का प्राविधान है लेकिन समय -समय पर क्रीमी लेयर की सीमा में वढोत्तरी भी होती रहती है। इस आरक्षण के लाभार्थी भी पीढ़ी दर पीढ़ी लाभ उठा रहे है। इस वर्ग में कई ऐसी जातियां हैं जो समुन्नत होकर अगड़ी जातियों से बहुत आगे निकल चुके हैं लेकिन आरक्षण का लाभ किसी रूप में छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इस वर्ग से सम्बंधित राजनेता कभी भी गरीबों (आर्थिक आधार पर आरक्षण ) के आरक्षण  की बात   नहीं करते।

मंडल कमीशन के दुष्परिणाम 
               आज देश में जो  जातीय छत्रप नेताओं और जातीय आन्दोलनों की  बाढ़  दिखाई दे रही है वह  मात्र मंडल कमीशन का एक मात्र   प्रतिफल है।  गुर्जर आंदोलन हो या फिर पाटीदार आंदोलन  ये सभी आंदोलन मंडल कमीशन से प्रेरणा लेने के  साथ -साथ उससे  ऊर्जा भी  प्राप्त करते हैं। ऐसे जातीय आन्दोलनों से  कितनी राष्ट्रीय आर्थिक क्षति होती है इसका मूल्याङ्कन केवल सरकार ही कर सकती है। ऐसे आंदोलनों में  कहीं भी  कहीं भी गरीबों की बात नहीं होती केवल जाति  ही बात शीर्ष पर रहती  है।

वी पी सिंह , चरण सिंह ,जयललिता अदि ऐसे राजनेता थे जो पिछड़े वर्ग  से  न होकर भी पिछड़ों की राजनीति की और उच्च पद पर पहुंचे। इन नेताओं ने भी गरीबों के आरक्षण की बात नहीं की । ओ बी सी वर्ग के जातीय छत्रपों ने भी कभी अपने वर्ग के गरीबों के आरक्षण का मुद्दा नहीं उठाया।

मद्रास हाई कोर्ट का दिशा निर्देश 

मद्रास हाई  कोर्ट अगड़ी जाति के  गरीबों को रोजगार और शिक्षा में आरक्षण  देने  पर  विचार  करने के लिए राज्य सरकार  से  कहा।[1] आखिरकार न्यायालय को  ऐसा आदेश देने की  आवश्यकता क्यों पड़ी। ऐसा आदेश न्यायालय तभी देता है जब किसी के साथ सरकार न्याय संगत निर्णय लेने में उदासीन हो।

गरीबों (आर्थिक रूप से पिछड़े ) के प्रति संवेदन शीलता 

गरीबों के प्रति संवेदनशीलता अर्थात  गरीबों को रोजगार और शिक्षा में आरक्षण देना एक गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा है. इस विन्दु पर कोई भी खुलकर बोलने का साहस  भी नहीं जुटा  पा रहा है। यदि  कोई दल /नेता आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने का मुद्दा उठाने का  साहस भी करे तो एस सी /एस टी / ओ बी सी  वर्ग के जातीय छत्रप नेता उसके  विरुद्ध लामबद्ध  होकर विरोध करते   हैं।  हमारा कहने का आशय यह है कि  सभी जातीय छत्रप आर्थिक आधार पर आरक्षण के देने के   विरुद्ध हैं।
                                                                         
अमीर -गरीब के बीच बढ़ती खाई की ओर  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद  ने भी चिन्ता जाहिर की है। [2]

अभिमत 

  1. आरक्षण एक सुविधा है न कि इसे पाना एक अधिकार। 
  2. जो लोग शैक्षिक और आर्थिक आधार पर समुन्नत हो चुके हैं उन्हें आरक्षण के लाभ से बंचित किया जाना चाहिए। 
  3. मद्रास हाई कोर्ट के दिशा निर्देश गरीबों को आरक्षण  देने से  सम्बंधित हैं 
  4. गरीब सभी वर्गों/जातियों/धर्मों में हैं अतः आर्थिक आधार  पर आरक्षण करने से राष्ट्रीय आर्थिक असमानता दूर होगी। 

  
  

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