*अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर* Updated on 12/10/19
स्वच्छता एक ऐसा बिंदु है जो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है। भारतीय लोकतंत्र में यह मुद्दा आजादी के लगभग सातवें दशक के अंत में सामने तब आया जब पॉलिथीन ,थर्माकोल आदि से नालियां जाम होने लगी , कार्यालय की दीवालें पीक से रंगीन होने लगी , अधिकारीयों की मेज के नीचे पीकदान शोभा देने लगे , गंगा जैसी पवित्र नदियाँ एक गंदे नाले के रूप में परिवर्तित हो गईं ,तब कहीं जाकर सरकार का ध्यान इस ओर गया।
भारत में प्राचीन काल से ही स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता था. ऋषि और मुनि और उनके आश्रम ,नदियाँ और जलाशय स्वच्छता के केंद्र विन्दु थे। सभी ऋषियों , मुनियों के आश्रम नदियों के तट या जलाशय के निकट ही होते थे।
स्वच्छता न कोई राजनीतिक मुद्दा है और न ही वर्ग विशेष को तुष्ट करने वाला । यह मुद्दा सर्वजन हिताय है। इस मुद्दे का सम्बन्ध न किसी जाति से है और न ही किसी धर्म से। यह मुदा अमीर और गरीब सभी के लिए बराबर हितकारी है। स्वच्छता का सम्बन्ध किसी राजनीतिक दल का राजनीतिक एजेंडा से भी नहीं है। अतः सभी सभी जाति /धर्म , अलप संख्यक /बहु संख्यक , अमीर/गरीब , सत्ताधारी दल /विपक्ष आदि सभी को स्वच्छता अभियान में सक्रिय भाग लेना चाहिए।
व्यक्तिगत स्वच्छता
व्यक्तिगत स्वच्छता में ऋषियों ,मुनियों को आदर्श कहा जा सकता है वह सदैव शौंच के बाद स्नान और लघुशंका (पेशाब ) के बाद मूत्रनली को जल से धोते थे ऐसा करने से यूरिन इन्फेक्शन से यह ऋषि- मुनि सदैव बचे रहते थे। ज्ञातव्य हो की यदि मल के बैक्टीरिया मूत्रमार्ग तक पहुँच जॉय तो यूरिन इन्फेक्शन ( Urine infection) हो जाता है।
कालांतर में वैष्णव (दंडी स्वामी ) आदि साधुओं ने भी व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान दिया।
वर्तमान में व्यक्तिगत स्वच्छता में कमी आयी है।लोगों में पान मशाला , मैनपुरी तम्बाकू ,गुटखा का प्रचलन गुणोत्तर गति से बढ़ रहा है। इससे न केवल ऐसे लोग कैंसर को आमंत्रित कर रहे है बल्कि जहां भी खड़े बैठे होते है वहीँ पर मुंह की पिचकारी से गन्दा करते है। यह केवल सामान्य जन की बात नहीं है बल्कि विशिष्ट जन भी पीछे नहीं है।
आइये अब हम एक उदहारण देते हैं हम अपने गंतव्य पर जाने के लिए बस का इन्तजार कर रहे थे अचानक एक मार्शल गाड़ी रुकी उसके सामने के सीसे में मजिस्ट्रेट लिखा था। ड्राइवर सीट के बगल जो व्यक्ति बैठा था हम ने उसे मजिस्ट्रेट ही समझा। वह व्यक्ति गाडी से उतरा और पहले उसने जमीन पर पिचकारी से डिजाइन बना दी और तब एक दूकान की ओर बढ़ा। इसी बीच हमारी बस आ गई और हम बस से अपनी यात्रा पर चल दिए।
परिसर की स्वच्छता
आवास , कार्यालय , गेस्ट हाउस , विद्यालय /कॉलेज / शिक्षण संस्थान या फिर अन्य जैसे रेलवे स्टेशन /हवाईअड्डा ,बंदरगाह आदि हो; इन सभी जगहों की स्वच्छता दायित्व सम्बंधित प्रमुखों का है।
परिवेश की स्वच्छता
परिवेश को स्वच्छ रखना ही सबसे कठिन बिंदु है इसमें नालियाँ , रोड , तालाब ,नदियां आदि आती है। सर्वाधिक गंदगी इन्हीं स्थानों पर मिलती है। परिवेश को स्वच्छ रखने के लिए कठोर निरीक्षण की आवश्यकता है। अभी तक देखने में आया है कि जो भी व्यक्ति / या संस्था परिवेश स्वच्छ रखने के लिए जिम्मेदार है वे अपने उत्तरदायित्व निर्वहन में असफल हैं।
आम जनता
आम जनता अभी अपने परिसर की सफाई तो करना चाहते हैं लेकिन परिवेश की सफाई के प्रति उदासीन हैं। अभी सभी दूकानदार डस्टबिन रखते भी नहीं और जो डस्टबिन रखे हुए भी है उनमें ग्राहक अभी प्रयुक्त मिटटी के कुल्हड़ , दोने,कागज आदि डालने के अभ्यस्त भी नहीं है। नदियों में आज भी शव प्रवाह , ज्वलित शव के अवशेष , पूजन सामग्री आदि भी प्रवाहित करने का प्रचलन है, इसका विकल्प खोजा जाना चाहिए।
जनप्रतिनिधि
जनप्रतिनिधियों में स्वच्छता के प्रति गंभीर रूचि नहीं दिखाई पड़ती। जनप्रतिनिधि स्वयं एवं इसके लिए जिम्मेदार संस्था को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते रहना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता। हाँ इतना अवश्य है कि कभी कभी कैमरे में झाड़ू लिए फोटो खिचवाने की ललक अवश्य रहती है और प्रिंट मीडिया में झाड़ू पकड़े हुए फोटो भी छपती है। लेकिन सफाई प्रदर्शन में विपक्ष के जन प्रतिनिधि या तो शामिल नहीं होते या फिर बहुत ही कम।
समाज सेवक/सामाजिक कार्यकर्ता
समाज सेवक में जन प्रतिनिधि भी शामिल हैं। जन प्रतिनिधियों के अलावा भारत में समाज सेवकों की बहुत बड़ी फ़ौज है लेकिन स्वच्छता के प्रति कोई भी आग्रह नहीं ,कोई अभिरुचि नहीं। आज के समाज सेवक रिपोर्टर के कैमरे के सामने नई झाड़ू लेकर फोटो खिंचा सकते हैं। अभी तक भारत रत्न के पुरस्कार अधिकतर सोशल एक्टिविस्ट को ही मिले हैं।
स्वच्छता और महात्मा गाँधी
गाँधी जी समाज सेवक थे। वे ब्रह्म मुहूर्त में विना प्रदर्शन किये चुप चाप मलिन बस्ती में झाड़ू लगाते थे। समाज सेवा के क्षेत्र में महात्मा गांधी अतुलनीय है। 2 अक्टूबर 2019 से गाँधी जी की 150 वीं जयंती मनाई जा रही है।
150 वीं गाँधी जयंती के अवसर पर रु 150 का सिक्का
स्वच्छता और नरेंद्र मोदी
महात्मा गाँधी के बाद सार्वजानिक सफाई की ओर यदि किसी का ध्यान गया तो वह नरेंद्र मोदी हैं। 2 अक्टूबर 2014 को सफाई अभियान को गति देते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के वाल्मीकि नगर में झाड़ू लगाई और स्वयं कूड़ा फेंका।[1] स्वतंत्र भारत के इतिहास में मोदी का यह सफाई अभियान स्वर्णाक्षरों लिखा जायेगा।
दिल्ली के वाल्मीकि नगर में झाड़ू लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पी एम नरेंद्र मोदी तट पर कूड़ा उठाते हुए
12 अक्टूबर 2019 को प्रातः भ्रमण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममल्लापुरम के समुद्र तट की साफ-सफाई की।[2]
लोकसेवक
सभी सरकारी अधिकारी /कर्मचारी लोक सेवक की श्रेणी में आते है लेकिन लोक सेवकों में , लोक सेवा कम अधिकार भावना अधिक। यह अधिकारी /कर्मचारी अपने -अपने कार्यालय में गुटका ,पानमसाला या धूम्र पान केवल निषेध ही करा दें तो बड़ी बात है। स्वच्छता का उत्तरदायित्व संभाल रहे अधिकारी जितना सजग होना चाहिए उतना सजग नहीं हैं।
सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति होने बाद भी अभी गावों में सफाई संतोष जनक नहीं है। सफाई कर्मचारी अपने नियुक्ति स्थल पर कार्य करें इसके लिए कोई भी अभी तक न ही उचित निरीक्षण सुनिश्चित है और न ही उपस्थिति सुनिश्चित होती है। जल भराव की स्थिति में , गन्दगी से होने वाली बीमारी की स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा?
घर में शौचालय निर्माण हो या नालियों की सफाई/निर्माण की फर्जी रिपोर्ट प्रेषित की जाती है। इस पर नियंत्रण लगना चाहिए।
स्वच्छता से सम्बंधित जनसुनवाई पोर्टल पर की गयी शिकायतों की फर्जी निस्तारण सूचना जिलाधिकारियों को दी रही है।
अभिमत
1 - व्यक्तिगत स्वछता के लिए शिक्षण संस्थाओं में छात्रों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
2 - सभी शिक्षण संस्थाओं / कार्यालयों के समीप, 10 घरों के मध्य कूड़ा डालने के लिए कूड़ादान (डस्टबिन) की व्यवस्था की जनि चाहिए। यह डस्टबिन भी नियमित खली किये जाने चाहिए।
3 - नालियों की सफाई नियमित हो। तलहटी में जमी सिल्ट भी समय - समय पर निकली जानी चाहिए।
4 - पॉलिथीन के कारण नालियों में जल प्रवाह रुकता अतः पॉलिथीन का निर्माण ,बिक्री एवं प्रयोग प्रतिबन्ध के बाद कठोर निरीक्षण की आवश्यकता है।
5 - वातावरण को गन्दा करने में पान मशाला , गुटखा और मैनपुरी तम्बाकू की बहुत बड़ी भूमिका है अतः पान मशाला , गुटखा एवं मैनपुरी तम्बाकू का निर्माण एवं विक्री प्रतिबंधित की जाय।
6 - मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए समय- समय पर फॉगिंग या डी डी टी का छिड़काव किया जाना चाहिये।
7 - प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता विषय अनिवार्य होना चाहिए।
स्वच्छता एक ऐसा बिंदु है जो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है। भारतीय लोकतंत्र में यह मुद्दा आजादी के लगभग सातवें दशक के अंत में सामने तब आया जब पॉलिथीन ,थर्माकोल आदि से नालियां जाम होने लगी , कार्यालय की दीवालें पीक से रंगीन होने लगी , अधिकारीयों की मेज के नीचे पीकदान शोभा देने लगे , गंगा जैसी पवित्र नदियाँ एक गंदे नाले के रूप में परिवर्तित हो गईं ,तब कहीं जाकर सरकार का ध्यान इस ओर गया।
भारत में प्राचीन काल से ही स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता था. ऋषि और मुनि और उनके आश्रम ,नदियाँ और जलाशय स्वच्छता के केंद्र विन्दु थे। सभी ऋषियों , मुनियों के आश्रम नदियों के तट या जलाशय के निकट ही होते थे।
स्वच्छता न कोई राजनीतिक मुद्दा है और न ही वर्ग विशेष को तुष्ट करने वाला । यह मुद्दा सर्वजन हिताय है। इस मुद्दे का सम्बन्ध न किसी जाति से है और न ही किसी धर्म से। यह मुदा अमीर और गरीब सभी के लिए बराबर हितकारी है। स्वच्छता का सम्बन्ध किसी राजनीतिक दल का राजनीतिक एजेंडा से भी नहीं है। अतः सभी सभी जाति /धर्म , अलप संख्यक /बहु संख्यक , अमीर/गरीब , सत्ताधारी दल /विपक्ष आदि सभी को स्वच्छता अभियान में सक्रिय भाग लेना चाहिए।
व्यक्तिगत स्वच्छता
व्यक्तिगत स्वच्छता में ऋषियों ,मुनियों को आदर्श कहा जा सकता है वह सदैव शौंच के बाद स्नान और लघुशंका (पेशाब ) के बाद मूत्रनली को जल से धोते थे ऐसा करने से यूरिन इन्फेक्शन से यह ऋषि- मुनि सदैव बचे रहते थे। ज्ञातव्य हो की यदि मल के बैक्टीरिया मूत्रमार्ग तक पहुँच जॉय तो यूरिन इन्फेक्शन ( Urine infection) हो जाता है।
कालांतर में वैष्णव (दंडी स्वामी ) आदि साधुओं ने भी व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान दिया।
वर्तमान में व्यक्तिगत स्वच्छता में कमी आयी है।लोगों में पान मशाला , मैनपुरी तम्बाकू ,गुटखा का प्रचलन गुणोत्तर गति से बढ़ रहा है। इससे न केवल ऐसे लोग कैंसर को आमंत्रित कर रहे है बल्कि जहां भी खड़े बैठे होते है वहीँ पर मुंह की पिचकारी से गन्दा करते है। यह केवल सामान्य जन की बात नहीं है बल्कि विशिष्ट जन भी पीछे नहीं है।
आइये अब हम एक उदहारण देते हैं हम अपने गंतव्य पर जाने के लिए बस का इन्तजार कर रहे थे अचानक एक मार्शल गाड़ी रुकी उसके सामने के सीसे में मजिस्ट्रेट लिखा था। ड्राइवर सीट के बगल जो व्यक्ति बैठा था हम ने उसे मजिस्ट्रेट ही समझा। वह व्यक्ति गाडी से उतरा और पहले उसने जमीन पर पिचकारी से डिजाइन बना दी और तब एक दूकान की ओर बढ़ा। इसी बीच हमारी बस आ गई और हम बस से अपनी यात्रा पर चल दिए।
परिसर की स्वच्छता
आवास , कार्यालय , गेस्ट हाउस , विद्यालय /कॉलेज / शिक्षण संस्थान या फिर अन्य जैसे रेलवे स्टेशन /हवाईअड्डा ,बंदरगाह आदि हो; इन सभी जगहों की स्वच्छता दायित्व सम्बंधित प्रमुखों का है।
परिवेश की स्वच्छता
परिवेश को स्वच्छ रखना ही सबसे कठिन बिंदु है इसमें नालियाँ , रोड , तालाब ,नदियां आदि आती है। सर्वाधिक गंदगी इन्हीं स्थानों पर मिलती है। परिवेश को स्वच्छ रखने के लिए कठोर निरीक्षण की आवश्यकता है। अभी तक देखने में आया है कि जो भी व्यक्ति / या संस्था परिवेश स्वच्छ रखने के लिए जिम्मेदार है वे अपने उत्तरदायित्व निर्वहन में असफल हैं।
आम जनता
आम जनता अभी अपने परिसर की सफाई तो करना चाहते हैं लेकिन परिवेश की सफाई के प्रति उदासीन हैं। अभी सभी दूकानदार डस्टबिन रखते भी नहीं और जो डस्टबिन रखे हुए भी है उनमें ग्राहक अभी प्रयुक्त मिटटी के कुल्हड़ , दोने,कागज आदि डालने के अभ्यस्त भी नहीं है। नदियों में आज भी शव प्रवाह , ज्वलित शव के अवशेष , पूजन सामग्री आदि भी प्रवाहित करने का प्रचलन है, इसका विकल्प खोजा जाना चाहिए।
जनप्रतिनिधि
जनप्रतिनिधियों में स्वच्छता के प्रति गंभीर रूचि नहीं दिखाई पड़ती। जनप्रतिनिधि स्वयं एवं इसके लिए जिम्मेदार संस्था को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते रहना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता। हाँ इतना अवश्य है कि कभी कभी कैमरे में झाड़ू लिए फोटो खिचवाने की ललक अवश्य रहती है और प्रिंट मीडिया में झाड़ू पकड़े हुए फोटो भी छपती है। लेकिन सफाई प्रदर्शन में विपक्ष के जन प्रतिनिधि या तो शामिल नहीं होते या फिर बहुत ही कम।
समाज सेवक/सामाजिक कार्यकर्ता
समाज सेवक में जन प्रतिनिधि भी शामिल हैं। जन प्रतिनिधियों के अलावा भारत में समाज सेवकों की बहुत बड़ी फ़ौज है लेकिन स्वच्छता के प्रति कोई भी आग्रह नहीं ,कोई अभिरुचि नहीं। आज के समाज सेवक रिपोर्टर के कैमरे के सामने नई झाड़ू लेकर फोटो खिंचा सकते हैं। अभी तक भारत रत्न के पुरस्कार अधिकतर सोशल एक्टिविस्ट को ही मिले हैं।
स्वच्छता और महात्मा गाँधी
गाँधी जी समाज सेवक थे। वे ब्रह्म मुहूर्त में विना प्रदर्शन किये चुप चाप मलिन बस्ती में झाड़ू लगाते थे। समाज सेवा के क्षेत्र में महात्मा गांधी अतुलनीय है। 2 अक्टूबर 2019 से गाँधी जी की 150 वीं जयंती मनाई जा रही है।
150 वीं गाँधी जयंती के अवसर पर रु 150 का सिक्का
स्वच्छता और नरेंद्र मोदी
महात्मा गाँधी के बाद सार्वजानिक सफाई की ओर यदि किसी का ध्यान गया तो वह नरेंद्र मोदी हैं। 2 अक्टूबर 2014 को सफाई अभियान को गति देते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के वाल्मीकि नगर में झाड़ू लगाई और स्वयं कूड़ा फेंका।[1] स्वतंत्र भारत के इतिहास में मोदी का यह सफाई अभियान स्वर्णाक्षरों लिखा जायेगा।
दिल्ली के वाल्मीकि नगर में झाड़ू लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पी एम नरेंद्र मोदी तट पर कूड़ा उठाते हुए
12 अक्टूबर 2019 को प्रातः भ्रमण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममल्लापुरम के समुद्र तट की साफ-सफाई की।[2]
लोकसेवक
सभी सरकारी अधिकारी /कर्मचारी लोक सेवक की श्रेणी में आते है लेकिन लोक सेवकों में , लोक सेवा कम अधिकार भावना अधिक। यह अधिकारी /कर्मचारी अपने -अपने कार्यालय में गुटका ,पानमसाला या धूम्र पान केवल निषेध ही करा दें तो बड़ी बात है। स्वच्छता का उत्तरदायित्व संभाल रहे अधिकारी जितना सजग होना चाहिए उतना सजग नहीं हैं।
सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति होने बाद भी अभी गावों में सफाई संतोष जनक नहीं है। सफाई कर्मचारी अपने नियुक्ति स्थल पर कार्य करें इसके लिए कोई भी अभी तक न ही उचित निरीक्षण सुनिश्चित है और न ही उपस्थिति सुनिश्चित होती है। जल भराव की स्थिति में , गन्दगी से होने वाली बीमारी की स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा?
घर में शौचालय निर्माण हो या नालियों की सफाई/निर्माण की फर्जी रिपोर्ट प्रेषित की जाती है। इस पर नियंत्रण लगना चाहिए।
स्वच्छता से सम्बंधित जनसुनवाई पोर्टल पर की गयी शिकायतों की फर्जी निस्तारण सूचना जिलाधिकारियों को दी रही है।
अभिमत
1 - व्यक्तिगत स्वछता के लिए शिक्षण संस्थाओं में छात्रों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
2 - सभी शिक्षण संस्थाओं / कार्यालयों के समीप, 10 घरों के मध्य कूड़ा डालने के लिए कूड़ादान (डस्टबिन) की व्यवस्था की जनि चाहिए। यह डस्टबिन भी नियमित खली किये जाने चाहिए।
3 - नालियों की सफाई नियमित हो। तलहटी में जमी सिल्ट भी समय - समय पर निकली जानी चाहिए।
4 - पॉलिथीन के कारण नालियों में जल प्रवाह रुकता अतः पॉलिथीन का निर्माण ,बिक्री एवं प्रयोग प्रतिबन्ध के बाद कठोर निरीक्षण की आवश्यकता है।
5 - वातावरण को गन्दा करने में पान मशाला , गुटखा और मैनपुरी तम्बाकू की बहुत बड़ी भूमिका है अतः पान मशाला , गुटखा एवं मैनपुरी तम्बाकू का निर्माण एवं विक्री प्रतिबंधित की जाय।
6 - मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए समय- समय पर फॉगिंग या डी डी टी का छिड़काव किया जाना चाहिये।
7 - प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में स्वच्छता विषय अनिवार्य होना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें