मंगलवार, 11 जून 2019

शूद्र शब्द का प्रयोग केवल संगठनात्मक ढांचा बनाने में


Asharfi Lal Mishra










शूद्र कोई जाति नहीं ,शूद्र कोई वर्ण नहीं। आज हम इस लेख में शूद्र शब्द पर विशद विवेचन करेंगे।

हमारी दृष्टि में शूद्र वह व्यक्ति है जो जन्म लेने  के बाद  अपने आप को किसी भी प्रकार की शिक्षा या कौशल कला की शिक्षा  से वंचित रखता है और ऐसा व्यक्ति जीवन यापन के लिए दूसरे व्यक्तियों  की सेवा में अपने को संलग्न  रखता है    
वैदिक शास्त्रों में भी कहा गया है :
" शोचनीयः शोच्यां स्थितिमापन्नो वा सेवायां साधुर अविद्यादिगुणसहितो मनुष्यो वा। "[1]
अर्थात शूद्र वह व्यक्ति है जो अपने अज्ञान के कारण किसी भी प्रकार की उन्नति को प्राप्त नहीं कर पाया और जिसके भरण पोषण की चिंता स्वामी के द्वारा की जाती है। 

   यह भी कहा गया कि प्रत्येक व्यक्ति जन्म से शूद्र है और जब तक व्यक्ति शिक्षा या कौशल कला  का ज्ञान  प्राप्त नहीं  करता तब तक शूद्र ही रहेगा  .इसका अर्थ यह हुआ कि  प्राचीन काल से ही शिक्षा का विशेष महत्व रहा है  और शायद इसी लिए न पढ़ने वाले के लिए शूद्र शब्द का स्तेमाल किया गया होगा। 

वर्तमान समय में देश में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा शायद इसीलिए लागू  की गयी है  कि सभी लोग शिक्षित हों और कौशल कला में निपुण हों ताकि देश में कोई भी व्यक्ति शूद्र न कहलाये। सरकार का इस ओर भागीरथ  प्रयास भी है  आशा है सरकार अपने इस प्रयास में सफल होगी और देश में  न कोई अशिक्षित होगा और न ही किसी व्यक्ति को शूद्र कहा जायेगा। 

शूद्र शब्द की वास्तविकता को जानते हुए भी कुछ लोग जातीय संगठनों में ,  एन जी ओ में , जातीय सम्मेलनों में  धार्मिक ठेकेदार या फिर कभी- कभी राजनेता भी शूद्र शब्द की गलत व्याख्या कर अपना स्वार्थ सीधा करने में नहीं चूकते। 

हमें तब आश्चर्य हुआ जब  एक संगठन से जुड़े व्यक्ति ने यह कहा कि " भीमराव रामजी आम्बेडकर , रविदास और कृष्ण द्वैपायन शूद्र थे " मैंने तत्काल प्रतिवाद किया और कहा  कि " आम्बेडकर विधि वेत्ता  , रविदास ज्ञानी और कला कुशल तथा कृष्ण द्वैपायन (व्यास) कवि एवं उद्भट  विद्वान थे " 

ऊपर हमने जिस व्यक्ति की चर्चा की वह  एक संगठन में उपदेशक हैं और अनुसूचित जाति  से सम्बन्ध रखते हैं। हमने बात बढ़ाते हुए उनसे कहा कि एक समय था जब अपढ़ लोगों को जिन्हें शूद्र की संज्ञा दी जाती थी उन्हें पढ़े लिखे लोगों के बीच बैठने का अवसर नहीं मिलता था। आज इस समय  आप कुर्सी पर बैठे है और मैं   खड़ा हूँ कृपया बताइये हम में और आप में कौन शूद्र है। बस इतना कहते ही वह व्यक्ति हाथ जोड़ते हुए और मुस्कराते हुए  वहां से चला गया । 

अभिमत 
 वर्तमान में देश कोई भी  व्यक्ति शूद्र नहीं। कुछ एन जी ओ और कुछ राजनेता  इस शब्द का बेजा स्तेमाल करते हैं। ऐसे एन जी ओ प्रमुखों , उपदेशकों और राजनेताओं को सद्बुद्धि प्राप्त करने के लिए मैं  ईश्वर से प्रार्थना  करता हूँ अथवा कानून बनाकर शूद्र शब्द जो घृणामूलक है उसे प्रतिबंधित करने के लिए सरकार निवेदन  करूंगा । 




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