शनिवार, 9 नवंबर 2019

गंदगी से कानपुर देहात जिले में डेंगू का कहर

Updated on 26/11/2019 
                                       
 Blogger: अशर्फी लाल मिश्र  
अशर्फी लाल मिश्र








आज भारत में बढ़ रहा प्रदूषण एक राष्ट्रीय  समस्या का संकेत दे  रहा है। अब प्रदूषण महानगरों में ही नहीं बल्कि  प्रदूषण  का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों  पहुँच  गया है।  उसका मुख्य कारण स्थानीय निकाय और ग्राम्य विकास विभाग की उदासीनता होना।
  हम विडम्बना ही कहेंगे कि जब भारत गाँधी जी की 150 जयंती मना रहा हो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  का जोर भी  हो स्वच्छता पर  विशेष हो और इतना ही नहीं स्वयं  नरेंद्र मोदी समुद्रतट पर पोलिथीन एवं बोतलें  उठाते हुए दिखाई दे रहे  हैं तब दिल्ली और कानपुर जैसे महानगर बढ़ते प्रदूषण का झंडा ऊंचा किये।


स्वच्छता बनाये रखने का उत्तरदायित्व ग्राम्य विकास विभाग और स्थानीय निकाय का है लेकिन ये संस्थाए भी स्वच्छता के प्रति गंभीर नहीं। संक्रामक बीमारियों को नियंत्रित करने वाले भी अधिकारी अपने उत्तरदायित्व के प्रति गंभीर नहीं हैं यदि ये  संस्थाए  गंभीर हों तो मच्छर जनित बीमारियां महामारी का रूप न लें।
संक्रामक बीमारियों से जब लोगो की  मृत्यु की सूचना प्रिंट मीडिया द्वारा मिलती है। तब सम्बंधित विभाग में  हलचल होती है। इसके पहले  अधिकारी सोते रहते हैं। प्रिंट मीडिया भी  कभी कभी सही समाचार देने में शिथिलता बरतती  है यदि प्रिंट मीडिया समय पर बजबजाती नालियों और जगह जगह कूड़े ढेरों की सूचना अपने समाचार पत्रों में दें तो भी कुछ समस्या हल हो  सकती है ।

कानपुर देहात और डेंगू 

महानगरों के बाद यदि देखा जाय तो गंदे जिलों में कानपुर   देहात जिले का नाम भी शुमार किया जा सकता है। जहाँ सफाई की लचर व्यवस्था से मच्छर जनित बीमारियों के कारण आम जनता  भयभीत है। सितम्बर 2019 से नवम्बर 2019 तक डेंगू और मलेरिया से हजारों लोग पीड़ित रहे और दर्जनों लोग इस संसार को छोड़कर चले गए। 
         

 डेंगू से सर्वाधिक  प्रभावित क्षेत्रों में भटौली , रूरा, अकबरपुर, झींझक   रहे।  वैसे डेंगू और  मलेरिया ने पूरे जिले में  पैर पसार  रहा है। कानपुर देहात जिले के मुख्यालय के नजदीक स्थित अकबरपुर,रूरा,और भटौली जैसे स्थानों में मच्छर जनित बीमारियों का होना जिले के  ग्राम्य विकास विभाग की पोल खुलती नजर आती है। सफाई के लिए जिम्मेदार अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग एवं जिले के  अधिकारी  तब सोते से जागते हैं जब प्रिन्ट मीडिया उन्हें डेंगू से होने वाली मौतों की सूचना देता है। [1] [2] 2[a] [3 ]
पार्श्व चित्र में डेंगू की जाँच के लिए खड़े हैं लेकिन जांच की सुविधा नहीं। [4]
गंदगी के कारण कानपुर देहात जिले में मच्छरों का साम्राज्य।  जिले में डेंगू ने महामारी का रूप ले लिया है। मेडिकल कॉलेज से अब तक 75 डेंगू से पीड़ित मरीजों की सूचना। [5]

21/11/2019
रानियाँ में डेंगू से  एक महिला तथा भटौली -रूरा  में एक बच्चे की जीवन लीला समाप्त [6]

   
22/11/2019
डेंगू से  मौत पर 25  लाख़ का मुआवजा. 
 डेंगू  की बीमारी से  सम्बंधित  एक याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने  डेंगू से मौत होने पर  25 लाख मुआवजा देने का आदेश।6[a]   सभी जिलाधिकारियों को डेंगू से बचाव और  इलाज की समुचित व्यवस्था का निर्देश [7]

24/11/2019
 कानपुर मेडिकल कॉलेज ने 3  और डेंगू के मरीजों की पुष्टि की [8]
25/11/2019
ग्राम जिगनिस डेरापुर में  डेंगू से एक किशोरी मौत (दैनिक जागरण -कानपुर )
26/11/2019
डेंगू के 5 और  मरीज मिले। आंकड़ा 85, मेडिकल कॉलेज कानपुर  के अनुसार [9]


सफाई और बचाव 
आज भी नालियां बजबजा रही है। एंटी लार्वा का छिड़काव  बहुत सीमित अर्थ में। एंटीलार्वा का छिड़काव केवल उन घरों तक  सीमित  जिनकी सूचना मेडिकल कॉलेज कानपुर  से सी एम ओ कानपुर देहात के पास आयी। प्रतिदिन सैकड़ों नए डेंगू के मरीज। डेंगू से बचाव के  लिए प्रिंट मीडिया में केवल प्रचार। सफाई कर्मचारी गायब।



मृदा प्रदूषण 

आज अधिकांश वस्तुएं  चाहे वे ठोस हों या फिर तरल , सभी की सभी  पॉलिथीन / प्लास्टिक के कंटेनर या पाउच   के  रूप में   बाजार में उपलब्ध हैं।
वनस्पति घी ,  दूध ,तेल , पानी आदि सभी कुछ पाउच या बोतलों में उपलब्ध हैं इनके उपभोग के बाद त्याज्य पाउच ,बोतल आदि या तो नाली में या  कूड़े के ढेर में या फिर खेतों की ओर जा कर कृषि भूमि को उनुपजाउ करने में सक्रिय भूमिका अदा  कर रहे  हैं।
पान का मशाला हो या फिर नमकीन , तम्बाकू की  पुड़िया हो या फिर हो फिर चॉकलेट।   हमारा कहने का अर्थ यह  है कि  बाजार में  95 % वस्तुएं प्लास्टिक /पॉलीथिन की पैकिंग में उपलब्ध हैं।  वस्तुओं के स्तेमाल के बाद  पैकिंग पदार्थ दिन पर दिन सीधे सीधे मृदा प्रदूषण को बढ़ा रहे है।  इससे कृषि उपज प्रभावित हो रही है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सरकार हमारे कथन के तथ्य से परिचित न हो।

वायु प्रदूषण 

वायु प्रदूषण का  एक कारण पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से  सरकार कुछ चिंतित जरूर नजर आ  रही है वह भी जब उच्चतम न्यायालय की निगाह टेढ़ी हुयी। इसके अलावा और भी कारण हैं जिनके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है जो निम्न हैं ;
1 - रोड पर धुल और मिटटी
2 - उखड़ते हुए रोड
3 - बिना फिटनेस  के डीजल वाहन (10 वर्ष के बाद ) ,पेट्रोल वाहन (15 वर्ष के बाद ) उगलते जहर।
4 - आज भी होटलों में कोयला / लकड़ी की भट्ठियों का संचालित  होना
5 - लगभग सभी खोये की भट्ठियां कोयला से संचालित
6  - पॉलीथिन  से युक्त कचरा स्थानीय निकायों द्वारा जलाया जाना
7  - आतिशवाजी का प्रयोग

जल प्रदूषण 

प्रदूषित जल के प्रयोग से लोग संक्रामक बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। जल प्रदूषण के निम्न कारण हैं:
1 - गन्दा पानी जहाँ रुकता हो जैसे - सीवर टैंक के पास हैंड पाइप / सब्मर्सिबल पंप
2 - नदियों के  जल को उसमें गिरने वाले  गंदे नाले  प्रदूषित करते हैं।
3 - कारखानों से निकलने वाला दूषित  जल भूमि जल को दूषित कर  रहा है।
4 - दूषित जल न ही पीने योग्य और न ही सिचाई योग्य।

अभिमत 
1 -पॉलिथीन  /  प्लास्टिक निस्तारण के प्लांट लगाए जाँय।
1(a)- खेतों में  पराली , कूड़े के ढेर को जलाने से रोका जाना चाहिए।
2 - अब ग्राम्य विकास विभाग  द्वारा  जल निकासी / सफाई कार्य प्राथमिकता के साथ कराये जाने चाहिए।
3 - ग्राम पंचायत अधिकारी को अनिवार्य रूप से ग्राम पंचायतों में जाने को कहा जाय। वर्तमान में ग्राम   पंचायत अधिकारी ब्लॉक स्तर पर अपना कार्यालय खोले हुए हैं।
4 - गन्दगी से होने वाली  बीमारी की स्थिति में सम्बंधित  अधिकारी को जवाबदेह ठहराया जाय।
5 - सभी सफाई कर्मचारियों अपने कार्य स्थल पर अनिवार्य रूप से बाध्य किया जाय। डुप्लीकेट सफाई कर्मचारियों पर नियंत्रण हो।
6 - कोयले/ लकड़ी की भट्ठियों को प्रतिबंधित किया जाय।
7 - धुँवा उगलने वाले वाहनों को रोड पर चलने से  रोका जाना चाहिए।
8 - प्रदूषित जल प्रवाह करने वाले  कारखानों  को जल शोधन के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए बाध्य किया जाय।


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