By : AsharfiLal Mishra
Asharfi Lal Mishra |
पिछले ७० वर्षों में भारत का चतुर्दिक विकास हुआ है। आज अनाज के उत्पादन में भारत आत्म -निर्भर है। कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व में U S A और चीन के बाद भारत का स्थान आता है। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में विश्व के शीर्ष देशों में स्थान प्राप्त है। चिकित्सा के क्षेत्र में हम अग्रणी और विश्व में सबसे सस्ता इलाज देने में समर्थ हैं। आज भारत की विश्व की औद्योगिक शक्तियों में गिनती की जाती है। परमाणु शक्ति संपन्न देशों में भारत की भी गणना की जाती है। ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य और चीन के बाद दूसरे स्थान पर आर्थिक भागेदारी। सुरक्षा परिषद में भी स्थायी सदस्यता के लिए भारत ने अपना दावा ठोंक दिया है।
लोगों का जीवन स्तर ऊँचा हुआ है। गावों तक सड़कों का जाल फैला हुआ है और प्रत्येक घर में बिजली का प्रकाश पहुँच रहा है ,शिक्षा के लिए गांव -गांव में विद्यालय की सुविधा उपलब्ध है फिर भी हमारी गिनती उन्नत देशों में नहीं हैं।
एक तरफ विकास और दूसरी तरफ जनसँख्या में वृद्धि। विकास और जनसँख्या दोनों में समान्तर गति होने के कारण विकास बढ़ती हुयी जनसंख्या में विलीन हो जाता है इसके कारण वास्तविक विकास परिलक्षित नहीं होता।
यदि जनसँख्या की वृद्धि दर को कम किया जाय तो यही विकास जनता में परिलक्षित होने लगे अथवा विकास गुणोत्तर दिशा में हो।
चीन ने अपनी जनसँख्या को नियंत्रित करने के लिए एक बच्चा एक परिवार की नीति लागू कर चुका है।
भारत में भी जनसँख्या को नियंत्रित करने के अनेक प्रयास हुए लेकिन बहुत अच्छे परिणाम नहीं आये। परिवार नियोजित करने में केवल शिक्षित वर्ग ने ही रूचि दिखाई। अनुसूचित जातियों /जनजातियों एवं मुस्लिम वर्ग ने परिवार नियोजित करने में बहुत कम रूचि ली।
कुछ राजनेता जिनका असर अपने वर्ग में था उन्होंने भी कभी भी छोटे परिवार के लाभ नहीं बताये। उदहारण के लिए बी आर अम्बेडकर बारह भाई बहिन थे उन्होंने भी छोटे परिवार के लाभ बताने की जरूरत नहीं समझी। मुस्लिम धर्म गुरुवों ने भी परिवार नियोजित करने में रूचि नहीं ली।
वर्तमान में सरकार परिवार नियोजित करने में कुछ प्रोत्साहन तो दे रही है लेकिन उसके बहुत अच्छे परिणाम नहीं दिखलाई पड़ रहे है।
असम सरकार ने परिवार नियोजन के निमित्त सबसे पहले इस दिशा में ठोस कदम उठाया। असम सरकार ने दो बच्चों से अधिक बच्चों वाले परिवार को सरकारी नौकरी और सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया। पंचायत /स्थानीय निकाय के निर्वाचन के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया[1]
असम सरकार ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है कि दो बच्चों से अधिक बच्चो वाले राज्य विधान सभा की सदस्यता रद्द की जाय और भविष्य में उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित किया जाय [2]
असम प्रदेश की सरकार द्वारा परिवार नियोजित करने के लिए उठाया गया कदम सराहनीय है। परिवार नियोजित करने के लिए असम विधान सभा का निर्णय अन्य राज्यों के लिए मार्ग दर्शक के रूप में कहा जा सकता है।
असम विधान सभा का अनुकरण अन्य प्रदेशों और केंद्र के लिए आसान नहीं है क्योंकि बड़े परिवार वाले राजनेता इसके विरुद्ध ध्रुवीकृत हो जाने की संभावना है।
प्रोत्साहन भत्ता
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश में परिवार नियोजन के निमित्त अलग से भत्ता को दिए जाने वाले प्रोत्साहन भत्ते की आवश्यकता नहीं है क्योंकि छोटे परिवार के निमित्त जागरूकता बढ़ गई है। लेकिन यह संस्तुति शिक्षित वर्ग के आंकड़ों के आधार पर ही आधारित है। सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिश करने के पहले मुस्लिम वर्ग , एस सी /एस टी एवं आदिवासी वर्ग में बढ़ती पारिवारिक स्थिति पर ध्यान नहीं दिया।
अभिमत
* वर्तमान में परिवार नियोजन हेतु दिए जाने वाले प्रोत्साहन भत्ते जारी रहने चाहिए।
*अनेक विरोधाभास के बावजूद सरकारी सुविधाएँ दो बच्चो तक सीमित की जा सकती हैं।
* दो बच्चों तक शिक्षा भत्ता, छात्र वृत्ति,नौकरी में आरक्षण या कुछ गुणांक निर्धारित किये जा सकते हैं।
* दो बच्चों तक शिक्षा भत्ता, छात्र वृत्ति,नौकरी में आरक्षण या कुछ गुणांक निर्धारित किये जा सकते हैं।
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